छत्तीसगढ़

पारंपरिक दक्षता को व्यवसायिक पहचान देकर महिलाएं हुयी आर्थिक रूप से सशक्त

रायगढ़, अगस्त 2022/ ग्रामीण महिलाएं घरेलू कार्य में दक्ष होती है, लिहाजा जंगल से प्राप्त घास का झाडू बनाने का कार्य पारंपरिक आजीविका गतिविधि के रूप में कर रही थी। लेकिन व्यवसायिक दृष्टि से कार्य नहीं करने से उनकी सामग्री की उत्पादन और आय कम थी। आज महिलाओं ने जय मां लक्ष्मी समूह का निर्माण कर घास की हरियाली को ही अपना उद्यम बना कर स्वावलंबी हो रही है। समूह द्वारा कार्य को बड़े स्तर में करने से उनकी आय में भी वृद्धि हुई है। जिससे वे मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही परिवार के भरण-पोषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
जनपद पंचायत बरमकेला अंतर्गत ग्राम झाल में स्थित ग्रामीण औद्योगिक केन्द्र (रीपा) गौठान का निर्माण अगस्त 2020 में शुभारंभ हुआ। यह शासन की एक महत्वपूर्ण योजना है, झाल गोठान में समूहों द्वारा जंगलों से प्राप्त घास से झाडू का निर्माण किया जा रहा है। महिलाओं द्वारा घास को हाथों से गूंथकर एक सुन्दर झाडू के रूप में लाने की यह पारंपरिक आजीविका है जो सालों से चली आ रही है। परन्तु उचित मार्केट की व्यवस्था न होने के कारण कम मात्रा में निर्माण किया जाता था। बिहान से जुडऩे के बाद सभी सदस्यों को प्रेरित कर मार्केट लिंकेज कर आजीविका को बढ़ाया गया है। कच्चा माल जंगल से ही प्राप्त होने का कारण इसकी लागत राशि शून्य होती है केवल परिश्रम का कार्य होता है। इसलिए इस आजीविका गतिविधि में समूह की रूचि अधिक है। अभी तक सी-मार्ट, अस्पताल, छात्रावास, नगर निगम, जनपद कार्यालय, स्थानीय कंपनियों को लगभग 13 हजार नग से अधिक झाडू विक्रय कर चुकी है। जिसका मूल्य तकरीबन 4 लाख हैं।
जय मां लक्ष्मी समूह के झाडू निर्माण कार्य को देखते हुए अन्य समूह के सदस्य भी समूह के साथ कार्य करने और काम सीखने की रूचि दिखाने लगी है। जिससे अन्य समूह के सदस्यों द्वारा आजीविका गतिविधियों की मांग की जा रही हैं। जिला प्रशासन द्वारा गौठान में अन्य आजीविका मूलक गतिविधियों के संचालन की कार्ययोजना बनायी जा रही है। गोधन न्याय योजना और गौठान के माध्यम से आजीविका मूलक गतिविधियों के संचालन के लिए समूह ने शासन एवं जिला प्रशासन का धन्यवाद ज्ञापित किया हैं।

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