हम सभी को एक दूसरे से सीखने की आवश्यकता, शिक्षा और कृषि कार्यों को बढ़ावा दे- मंत्रीजिले भर के विभिन्न आदिवासी समाज के लोगों ने हर्ष के साथ मनाया विश्व आदिवासी दिवस सुकमा, अगस्त 2022/ जिला मुख्यालय स्थित सर्व आदिवासी समाज भवन में आज विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य पर जिले भर के विभिन्न आदिवासी समुदाय के लोग एकत्रित हुए और पारंपरिक रूप से हर्ष के साथ एक दूसरे को बधाई दी। पुरुषों ने जहां धोती कुर्ता, पटका और कलगी धारण किया तो वहीं महिलाएं और किशोरियां पारंपरिक परिधान और आभूषण में सुसज्जित रही। पारंपरिक गीत, नृत्य से सभी ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को याद किया। मंत्री श्री कवासी लखमा ने कांजीपानी के स्कूली छात्रों द्वारा पारंपरिक मोहरी नृत्य पर प्रसन्न होकर 10 हजार रुपए का पारितोषिक बच्चों को दिया।
इस अवसर पर जिले के सभी वरिष्ठ नागरिक और विभिन्न समाज प्रमुख उपस्थित रहे। जिसमे प्रमुखता से प्रदेश के उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हरीश कवासी,श्री मनीष कुंजाम, श्री हूंगाराम मरकाम, श्री पोज्जा मरकाम, श्री वेको हूंगा एवं अन्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर सभी ने आदिवासी समाज को विश्व आदिवासी दिवस की बधाई दी और संबोधित किया।
उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने कहा कि आज आदिवासी समुदाय की पहचान विश्व पटल पर है। देश ही नहीं पूरा विश्व आज आदिवासी दिवस को हर्षाेल्लास के साथ मनाता है। हम आदिवासी, मस्त मौला मिजाज और सादा जीवन जिन पसंद करते है। जल जंगल जमीन और उसके जीव जंतु, पेड़ आदि ही हमको प्रिय है, जिसकी सुरक्षा और संवर्धन हेतु हम सभी किसी भी संकट का डट कर सामना करने के तैयार रहते है।
उन्होंने वृक्षों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें गर्व होना चाहिए की हम प्रकृति के बीच अपना खुशहाल जीवन जीते है, आज इन घने जंगल के कारण की वर्षा हो रही है। जहां वृक्ष होते हैं, वहां बरसात होना तय है, जिससे धरती में फूल पौधे जंतुओं को नव जीवन मिलता है। हमे जरूरत है इन प्राकृतिक धरोहरों को सहेजने की, इनके संवर्धन करने की।
उन्होंने आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वाले शाहिद वीर नारायण सिंह, शहीद गुंडाधूर, रानी दुर्गावती, बिरसा मुंडा के बलिदानों को याद किया। उन्होंने कहा कि आज उनके बलिदान की बदौलत ही हम सब एक साथ एकत्रित हुए है। आज घोटूल, देवगुडी के संवर्धन से आदिवासी समाज के सांस्कृतिक, पारंपरिक और आस्था को स्थान मिला है। हमे जरूर है कि सभी समुदाय एक दूसरे से सीखें, और कंधे से कंधा मिलाकर चले, इससे विकास और तेज होगा। हमे आवश्यकता है आज के युवा पीढ़ी और बच्चों , को भविष्य है, उनको अच्छी शिक्षा प्रदान करने की। शिक्षित समाज ही विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचता। उन्होंने कहा की खासतौर पर बस्तर क्षेत्र के आदिवासी समाज को कृषि कार्यों को बढ़ाने की आवश्यकता है।