छत्तीसगढ़

सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यो को पारदर्शी बनाता है-राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्री राउत*

*आवेदक को समय सीमा में जानकारी देना जनसूचना अधिकारी का दायित्व- श्री अग्रवाल*
*कार्यालय में संधारित जानकारी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जनसूचना अधिकारी की-श्री जायसवाल*
*सूचना के अधिकार पर जिला स्तरीय कार्यशाला संपन्न*
बिलासपुर , 16 सितम्बर 2022। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्री एम के राऊत ने आज जिला कार्यालय की सभा कक्ष में आयोजित कार्यशाला में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 सरकार के क्रियाकलापों को पारदर्शी बनाना है। सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों को शासकी योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है, इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े। सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। कार्यालय में संधारित जानकारी आवेदक के द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जनसूचना अधिकारी की है। इस अवसर पर कलेक्टर श्री सौरभ कुमार जिला पंचायत के मुख्य कार्यापालन अधिकारी सुश्री जय श्री जैन उपस्थित थी।       श्री राऊत ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन जो आपके कार्यालय से संबंधित नहीं, तो उसे धारा 6(3) के तहत 5दिवस के भीतर संबंधित कार्यालय को अंतरित करें ।       राज्य सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 आवेदक को समय सीमा में जानकारी देना जनसूचना अधिकारी का दायित्व है। जनसूचना अधिकारी जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क पर विशेष ध्यान रखें। आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। आम जनता सरकार को कर अदा करती है। नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है, इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े।        राज्य सूचना आयोग श्री धनवेन्द्र जायसवाल ने कहा कि जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े, इससे गलती की संभावना कम होगी। जनसूचना अधिकारी को पूर्वाग्रह से भी बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। साथ ही आवेदक को प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और पदनाम की भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर अंतरित किया जाए।       संयुक्त संचालक श्री धनंजय राठौर ने कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना कर मांग पत्र भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटो कॉपी कराई जाकर उपलब्ध कराया जाए।         श्री प्रवीण झलानी ने पावर पाइंट प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया कि जनसूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए राज्य सूचना आयोग ने कार्यशाला का आयोजन किया है। यह कार्यशाला जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियां के लिए उपयोगी साबित होगा। कार्यशाला में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, राज्य सूचना आयुक्त द्वय ने जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारी के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया। एक दिवसीय कार्यशाला में अपर कलेक्टर श्री कुरूवंशी सहित जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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