रायपुर 14 फरवरी 2024
छत्तीसगढ़ सड़क सुरक्षा में आइडियल राज्य बने- न्यायमूर्ति सप्रे
दिनांक 14.02.2024 को माननीय न्यायमूर्ति श्री अभय मनोहर सप्रे, अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड़ सेफ्टी की अध्यक्षता एवं माननीय मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, श्री एस. प्रकाश सचिव सह-आयुक्त परिवहन विभाग, श्री राजेश सिंह राणा सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, श्री प्रदीप गुप्ता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (यातायात), डॉ. संजय अलंग, कमिश्नर रायपुर सहित स्कूल शिक्षा विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, लोक निर्माण, स्वास्थ्य, परिवहन, सामान्य प्रशासन, पुलिस, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सड़क सुरक्षा परिदृश्य संबंधी समीक्षा बैठक मंत्रालय में संपन्न हुई ।
उक्त बैठक के प्रारंभ में न्यायमूर्ति ने प्रदेश को देश के सर्वाधिक सडक दुर्घटनाओ में शामिल 10 राज्यों में शामिल ना होने की बात कही। उन्होंने कहा कि देश में प्रतिदिन 410, प्रति घण्टा 17 तथा वर्ष में लगभग 5 लाख दुर्घटनाओं में लगभग डेढ़ लाख लोगो की मृत्यु हो रही है, जो कि चिंताजनक है। उन्होंने इस पर जापान, जर्मनी, चीन इत्यादि देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि उक्त देशों में लाखों दुर्घटनाएं होने के बावजूद मरने वालों की संख्या हजार मे ही होती है। उन्होंने इस हेतु हमें उक्त देशों की सुगम यातायात प्रबंधन संबंधी अपनाये गये तरीकों का अनुशरण करने की बात कहीं। उन्होंने कहा कि कॉमन मेन की पीड़ा को हमें समझना होगा। जिस परिवार के सदस्य की मृत्यु सड़क दुर्घटना में होती है, इसकी पीड़ा को वही परिवार समझ सकता है। उन्होंने कहा यहां कि ट्रक, बस, कार, बाईक, ई-रिक्शा के चालक यातायात के नियमों का पालन करते हुए वाहन चालन करें। कभी भी तेज रफ्तार, शराब सेवन कर वाहन ना चलायें। उन्होंने बाईक चलाते समय हेलमेट एवं कार चलाते समय सीटबेल्ट लगाने पर जोर देते हुए इसे व्यवहार में भी अपनाने की बात कही।
तद्उपरांत श्री संजय शर्मा, अध्यक्ष-अंतर्विभागीय लीड एजेंसी(सड़क सुरक्षा) द्वारा पावर पाइंट माध्यम से प्रस्तुतीकरण के दौरान अवगत कराया कि शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा पहली से लेकर दसवीं तक के पाठ्यक्रमों मे सड़क सुरक्षा विषयक पाठों के परिमार्जन का कार्य पूर्ण हो चुका है, जिसे आगामी शिक्षा सत्र से लागू किया जावेगा। इसी क्रम में उन्होने बताया कि प्रदेश में दोपहर 03 बजे से लेकर रात्रि 09 बजे के मध्य शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक दुर्घटनाएं हो रही है। उक्त होने वाली दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहनों से सर्वाधिक मृत्यु होना पाया गया है। जिसकी प्रमुख वजह बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चलाना है। इस पर न्यायमूर्ति ने सर्वाधिक दुर्घटनाजन्य 07 जिलों क्रमशः रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, बलौदाबाजार एवं राजनांदगांव पर केन्द्रित होकर उक्त जिलों में घटित दुर्घटनाओं के कारणों की सतत् रूप से समीक्षा की जाकर उसके निदान तथा सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों के समय पर उपचार हेतु प्रदेश के 13 अपूर्ण ट्रामा सेंटरों को यथाशीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिये।
लीड एजेंसी द्वारा सतत् रूप से किये गये कार्यो की वजह से प्रदेश में माह जनवरी 2023 की तुलना में माह जनवरी 2024% के दौरान 9% सड़क दुर्घटनाओं, 7.64% मृत्युदर तथा घायलों की संख्या में 6 की कमी परिलक्षित हुई है। जिस पर संतोष व्यक्त किया गया। माननीय न्यायमूर्ति ने सड़क सुरक्षा संबंधी विभागवार संपादित कार्यो की समीक्षा के दौरान पूर्व के 55 तथा 103 नवीन ब्लैक स्पॉट्स, 1803 जंक्शन में तत्काल सुधारात्मक कार्यवाही करने हेतु पृथक से बजट का प्रावधान कराने के साथ ही सीएसआर तथा अन्य प्राप्तियों से समय-सीमा के भीतर सुधार कार्य पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये।
न्यायमूर्ति ने शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, पुलिस, लोक निर्माण, नगरीय प्रशासन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदेश में सडक सुरक्षा संबंधी किये जा रहे सुगम यातायात एवं जनजागरूकता संबंधी संपादित कार्यो पर सतोष व्यक्त की। उन्होंने सड़क सुरक्षा को लेकर प्रदेश में किये जा रहे उत्साहजनक कार्यो को सतत् रूप से जारी रखने तथा संबंधित विभागीय कार्यो को उच्च प्राथमिकता के साथ कराने पर बल दिया। अंत में उन्होंने कहा कि मै 2024 के अंत में आकर संबंधित विभागों द्वारा सड़क दुर्घनाओं के रोकथाम के लिये किये गये उपचारात्मक एवं संपादित कार्यो की समीक्षा करूंगा। इस हेतु उन्होंने उक्त अवधि में बेहतर कार्य संपादित करने के निर्देश दिये। उन्होंने विभागीय अधिकारियों के मनोबल बढाते हुए आत्म संतुष्टि के लिये उदाहरण के साथ सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने की बात कही।
श्री राजेश सिंह राणा सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं के रोकथाम के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश ग्राम पंचायतों को जारी किया गया।