सुकमा / दिसम्बर 2021/ शासन के निर्देश पर कलेक्टर श्री विनीत नंदनवार के मार्गदर्शन में जिले में बाल श्रमिक, अपशिष्ट संग्राहक, भिक्षावृति में लिप्त बच्चों तथा स्ट्रीट सिचुएशन्स में रह रहे बालकों के रेस्क्यू एवं पुनर्वास हेतु अभियान चलाया जायेगा। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सुश्री प्रीति दुर्गम ने इस अभियान के क्रियान्वयन की जानकारी दी। इस अभियान में ऐसे बच्चे जो बिना किसी सहारे के सड़कों पर अकेले रहते है, दिन में सड़कों पर रहते है और रात में निकट की झुग्गी, झोपड़ी बस्तियों में रहने वाले अपने परिवार के पास घर वापस आ जाते है, ऐसे श्रेणी के बच्चे अपनी उत्तरजीविता, भोजन, पानी, वस्त्र, आश्रय एवं संरक्षण के लिए प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के संघर्षों एवं चुनौतियों का सामना करते है। इन बच्चों की पहचान कर उन्हें संरक्षण प्रदान करने के साथ ही शिक्षा एवं अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं उनके परिवारों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाते हुए उनके प्रशिक्षण एवं रोजगार की व्यवस्था हेतु विभिन्न विभाग के समन्वय से कार्ययोजना अनुसार 25 दिसंबर 2021 से 25 जनवरी 2022 तक अभियान चलाया जाएगा।
अभियान की रूपरेखा के अनुसार नगरीय क्षेत्र में गठित बाल संरक्षण समिति हेतु प्रशिक्षण आयोजित करते हुये जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा अभियान संचालित किया जावेगा। अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु सर्व परियोजना अधिकारी को परियोजना स्तर पर तथा पर्यवेक्षक को सेक्टर स्तर पर कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों का गठन किया गया है। ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत सचिव को कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है।
राज्य स्तर से प्रेषित कार्ययोजना अनुसार अभियान के दौरान चिन्हांकित बालकों को बालक कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 एवं नियम 2018 के प्रावधन अनुसार पुनर्वास की कार्यवाही किया जाना है। साथ ही पोर्टल पर सभी बालकों के संबंध में जानकारी संधारित किया जाना है। स्ट्रीट सिचुएशन्स वाले बच्चों के रेस्क्यू हेतु तत्काल जिला बाल संरक्षण इकाई को सूचित किया जाना है। जिनके द्वारा बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अनुसार पुनर्वास की प्रक्रिया सुनिश्चित किया जाना है।
बच्चों को बेहतर भविष्य एवं उनके परिवार का शासकीय योजनाओं को जोड़कर लाभांवित करने का उद्देश्य है। बच्चों की स्वास्थ्य देखरेख, उनके शाला प्रवेश तथा शिक्षा निरंतर रखने, उनको आश्रय प्रदान किए जाने के उपाय किया जाएगा। नगरीय प्रशासन विभाग तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा उक्त कार्ययोजना के क्रियान्वयन में प्रचार-प्रसार तथा बच्चों, परिवार के पुनर्वास, उनके आजीविका के विभिन्न उपायों में सहयोग किया जाना है। चिन्हांकित बालक एवं उनके परिजनों को कौशल उन्नयन, रोजगार तथा अन्य सहायता की आवश्यकता हो, उन्हे शासन की विभिन्न विभागों की प्रचलित योजनाओं के तहत लाभांवित किया जाना है। ऐसे क्षेत्रों में जहाँ उल्लेखित श्रेणी के बालक अधिक संख्या में देखे जा रहे है उन क्षेत्रों में ऐसे परिवारों को स्थाई आजीविका उपलब्ध कराये जाने के उपाये किये जायेंगे।
गतिविधियों को कोविड-19 के संबंध में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा, निर्देशों प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सम्पादित करेंगे। स्ट्रीट सिचुएशन्स वाले बच्चों का चिन्हांकित एवं पुनर्वास सतत् प्रक्रिया है। इस कारण यह अभियान के समाप्ति के उपरांत भी सतत् रूप से चिन्हांकित पुनर्वास एवं बाल स्वराज पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने की कार्यवाही की जावेगी।
जिला सुकमा में बाल श्रमिक/अपशिष्ट संग्राहक/भिक्षावृत्ति में लिप्त बालको तथा स्ट्रीट सिचुएशन्स में रह रहे बालकों को उचित सुविधा उपलब्ध कराने हेतु संयुक्त टीम महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग एवं श्रम विभाग 25 जनवरी 2022 तक सुकमा जिला मुख्यालय के विभिन्न क्षेत्र का भ्रमण करेगीं।