छत्तीसगढ़

लैलूंगा के जवाफूल चावल को मिला एफएसएसआई का लायसेंस

रायगढ़, मार्च2022/ लैलूंगा की पहचान सुगंधित जवाफूल धान जिसका चावल की मांग पूरे भारत में है। जवाफूल धान की एक ऐसी देशी किस्म है जो रायगढ़ जिला के लैलूंगा ब्लाक के किसानों द्वारा जैविक विधि से इसकी खेती वर्षो से करते आ रहे है। वर्ष 2020 में रायगढ़ में कलेक्टर श्री भीम सिंह ने माह नवम्बर में लैलूंगा का भ्रमण किए और जवाफूल धान के खेतों का निरीक्षण किये। इस दौरान उन्होंने किसानों से मिलकर इसकी प्रोसेसिंग एवं मार्केटिंग के विषय में विस्तृत चर्चा किये। किसानों ने बताया कि 60-70 रुपये किलो में बिचौलियों को विक्रय किया जाता है। जिससे किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिलने के कारण लगातार धान का रकबा कम हो रहा है।
कलेक्टर श्री सिंह ने जवाफूल धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषक संगठन बनाने हेतु लैलूंगा के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और उप संचालक कृषि रायगढ़ को निर्देश दिए। कलेक्टर श्री सिंह के निर्देशन पश्चात लैलूंगा में जवाफूल धान लगाने वाले कृषकों का सर्वे कराया गया एवं जवाफूल धान के रकबा की जानकारी ली गई। वर्ष 2020 खरीफ में 250 हेक्टेयर जवाफूल धान का रकबा था। लैलूंगा में 5 एफपीओ का गठन किया गया जो जवाफूल धान की खेती करते है एवं एक हजार से अधिक कृषक इसमें जुड़े।
वर्ष 2020 खरीफ में लैलूंगा में जवाफूल 250 हेक्टेयर का रकबा था। लैलूंगा में वर्ष 2021 में जवाफूल का रकबा बढ़कर एक हजार हेक्टेयर हो गया है। इस वर्ष अच्छा उत्पादन भी हुआ है। जवाफूल चावल का दूसरे शहरों एवं प्रदेशों में बिक्री हेतु विधिवत रूप से लैलूंगा एफओपी के सचिव श्री जतिराम भगत द्वारा लाइसेंस हेतु एफएसएसआई (फूड सेफ्टी एण्ड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ऑनलाईन आवेदन किया गया। 3 मार्च 2022 को उक्त संस्था द्वारा लाइसेंस जारी किया गया है। वर्तमान में अब तक उक्त एफपीओ द्वारा व्यापार हेतु शीघ्र ही छ.ग.के कई शहरों के सी-मार्ट में चावल का विक्रय किया जाएगा। लैलंूगा में जवाफूल की खेती करने वाले कृषकों में खुशी का माहौल है।

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