छत्तीसगढ़

बोरे-बासी हमारी छत्तीसगढ़ी लोक परंपरा में है गहरे रची-बसी

बोरे-बासी हर छत्तीसगढिय़ा की पसंद – पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह
श्रमिक दिवस के अवसर पर श्रम का सम्मान करते हुए पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह एवं उनके पुत्र अयान ने बोरे-बासी का स्वाद लिया। पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह ने कहा कि बोरे-बासी हर छत्तीसगढिय़ा की पसंद है। अपने आहार और अपनी संस्कृति के प्रति गर्व है।
बोरे बासी खाना किसी छप्पन भोग से कम नहीं – इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर ने कहा कि बोरे बासी मतलब गरमी के दिनों में खाने से आत्मा को तृप्त करना.. इससे शरीर में ठंडक का अहसास होने के साथ ऊर्जा का संचार होता है। बोरे बासी के साथ आमा का अथान और गोंदली माने प्याज के साथ बोरे बासी खाना किसी छप्पन भोग से कम नहीं होता। बोरे बासी हमारी छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न अंग है। ठंडा मतलब बोरे बासी…। पद्मश्री श्रीमती फूलबासन यादव ने श्रम दिवस के अवसर पर बोरे-बासी खाकर अपनी प्रसन्नता जाहिर की।
गोंदली, आमा अउ पताल चटनी के संग अतिक मिट्ठे संगी हमर बिहनिया के बोरे-बासी – किसान श्री एनेश्वर वर्मा
डॉ. खूबचंद बघेल से सम्मानित किसान श्री एनेश्वर वर्मा ने छत्तीसगढ़ी आहार बोरे-बासी खाकर श्रम दिवस मनाया। उन्होंने कहा कि गोंदली, आमा अउ पताल चटनी के संग अतिक मिट्ठे संगी हमर बिहनिया के बोरे-बासी। अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मृणाल चौबे ने बोरे-बासी खाकर श्रम दिवस एक विशेष अंदाज में मनाया। अंचल के प्रसिद्ध लोक गायक श्री महादेव हिरवानी एवं श्री प्रभु सिन्हा ने श्रम दिवस के अवसर पर बोरे-बासी भात खाकर छत्तीसगढ़ी संस्कृति की अनुभूति को व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल किसान घर के बेटा हे -श्रमिक श्री जनक राम साहू
नून, मिर्ची, अमारी फूल अऊ गोंदली के संग बोरे बासी गुरतुर लागथे
विकासखंड छुरिया के ग्राम सीताकसा के श्रमिक श्री जनक राम साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल किसान घर के बेटा हे। उहू हा नून मिर्ची संग बोरे-बासी भात खाते, उहू हा हमरे सही नांगर-बैला जोतईया हे। नून, मिर्ची, अमारी फूल अऊ गोंदली के संग बोरे बासी गुरतुर लागथे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन ह बोरे-बासी दिवस तिहार ला मनात हे, खेत-खलिहान और रोजगार गारंटी से काम-धाम करके आये रबे त अमारी के चटनी और आमा के अचार अऊ गोंदली के संग एक बटकी बोरे बासी ला खाथन बड़ सुआये बोरे बासी हा। बोरे बासी खाये से हमर शरीर हा तंदुरस्थ रथे और बासी हमर शरीर म पानी के कमी के पूर्ति करथे। बोरे बासी खाये से हमर शरीर में बहुत ताकत आथे और शरीर ऊर्जा शक्ति बढ़थे। बोरे बासी दिवस मनाके किसान बड़ खुश हे भूपेश सरकार हा अनेक योजना ल चलावत हे, भूपेश सरकार ला धन्यवाद। विकासखंड छुरिया ग्राम सीताकसा कीश्रमिक श्रीमती ज्योतिन बाई ने बताया कि घाम-प्यास में काम करके आये रबे अऊ बोरे बासी ला गोंदली, आमा चटनी के संग खाथे तो आनंद आ जाथे। शरीर के पूरा थकान मिट जथे। बोरे-बासी के बात ही अलग हे बोरे बासी से अनेक प्रकार के कमजोरी दूर हो जाथे। हमर पूरा परिवार हा खेत से काम करके आके एक बटकी बोरे बासी मिर्ची चटनी के संग खाथे। बोरे-बासी दिवस मना के भूपेश सरकार हा हमर पुरातन संस्कृति बचात हे और याद दिलात हे। भूपेश सरकार ला बोरे बासी दिवस की हार्दिक बधई।
छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा, बोरे-बासी खाय ले रहिथे तबियत बढिय़ा – स्वच्छता दीदी
नगर पालिक निगम की स्वच्छता दीदी ने कहा कि छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा, बोरे-बासी खाय ले रहिथे तबियत बढिय़ा।

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