छत्तीसगढ़

पुर्नगठित राष्ट्रीय बांस मिशन योजनांतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

कवर्धा, 08 फरवरी 2023। कृषि विज्ञान केन्द्र में मंगलवार को पुर्नगठित राष्ट्रीय बांस मिशन योजनांतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संत कबीर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र कवर्धा के अधिष्ठाता डॉ. एच. सी. नंदा एवं प्राध्यापक वानिकी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर डॉ. आर. के. प्रजापति, ने मां सरस्वती के तैलचित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.पी. त्रिपाठी ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा कृषकों को पुर्नगठित राष्ट्रीय बांस मिशन योजना की विस्तृत जानकारी दी।
संत कबीर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र कवर्धा के अधिष्ठाता डॉ. एच. सी. नंदा ने कृषको का संबोधित करते हुए कहा कि बांस का मानव जीवन में विशेष महत्व है। बांस की खेती लाभदायक है तथा आजीविका संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कृषकों को बांस की विभिन्न प्रजाति जैसे बल्कुआ, टुल्डा आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। योजना के प्रमुख अन्वेषक डॉ. आर. के. प्रजापति, प्राध्यापक वानिकी ने बांस की खेती के संबंध में बांस रोपण की तैयारी एवं लेऑउट, बांस रोपण का समय एवं सिंचाई तकनीक, बांस रोपण पश्चात् पौधों का रखरखाव (खरपतवार नियंत्रण, उर्वरक नियंत्रण एवं कीट व रोग नियंत्रण) तथा कटाई पश्चात बांस के परीरक्षण एवं बांस के बनाए जाने वाले विभिन्न उत्पादों जैसे फर्नीचर, प्लाई, चटाई, टाईल्स, दरवाजे आदि के बारे में जानकारी दी। विषय वस्तु विशेषज्ञ, कृषि अभियांत्रिकी इंजी. टी. एस. सोनवानी ने बांस कटाई के बाद मशीनों द्वारा मूल्य संवर्धन की तकनीक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी कृषको दी। विषय वस्तु विशेषज्ञ, सस्य विज्ञान श्री बी. एस. परिहार, ने बांस का जीविकोपार्जन में महत्व के बारे में बताया। प्रशिक्षण उपरांत कृषको को कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा प्रक्षेत्र नेवारी में रबी फसल क्रॉप कैफेटेरिया गेहूं के अगेती किस्म 15 एवं पछेती किस्म 10, चना 5, तिवड़ा 2, अलसी 3, सरसों 1, गन्नें के 6 किस्मों का अवलोकन कराया गया एवं बीजोत्पादन कार्यक्रम अंतर्गत चना, गेहूं की उन्नत किस्मों अवलोकन कृषको द्वारा किया गया साथ ही केन्द्र में स्थापित समन्वित कृषि प्रणाली अंतर्गत मशरूम उत्पादन इकाई, पशुपालन इकाई, बटेर पालन इकाई, कड़कनाथ पालन इकाई एवं मछली सह बत्तख पालन इकाई का अवलोकन एवं उन्नत तकनीक की जानकारी कृषकों दी गई।

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