अम्बिकापुर 25 अप्रैल 2023/ जिले में बाल विवाह की रोकथाम एवं इसे रोकने लोगों को जागरूक करने हेतु कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार के मार्गदर्शन में टीम गठित की गई है। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया है कि बाल विवाह की रोकथाम एवं प्रचार-प्रसार हेतु अभियान चलाए जा रहे हैं। इस हेतु बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी, जिला बाल संरक्षण ईकाई, विशेष किशोर पुलिस इकाई एवं चाइल्ड लाइन का संयुक्त टीम गठित किया गया है। टीम द्वारा जिले में होने वाले बाल विवाह की रोकथाम हेतु कार्यवाही की जा रही है।
बाल विवाह के गंभीर दुष्परिणाम न केवल बच्चों को बल्कि पूरे परिवार और समाज को भुगतने पड़ते हैं। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात विवाह को स्वीकार नहीं करते है, तो बालिग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते हैं। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर एवं मातृ-दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है।
बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है। बाल विवाह से बच्चे के पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अधिकार अच्छा स्वास्थ्य, पोषण व शिक्षा पाने और हिंसा, उत्पीड़न व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है। गंभीर संक्रामक यौन बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है, और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। जल्दी विवाह अर्थात् जल्दी मां बनना। इसके कारण कम उम्र की मां और उसके बच्चे, दोनों की जान और सेहत खतरे में पड़ जाती है। कम उम्र की मां के नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है, साथ ही उनके सामने कुपोषण व खून की कमी की भी ज्यादा आशंका रहती है। बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते हैं जिससे उनके सामने अच्छे रोजगार पाने और बड़े होने पर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार 21 वर्ष से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह प्रतिबंधित है। कोई व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, करता है, उसमें सहायता करता है, बाल विवाह को बढ़ावा देता है, उसकी अनुमति देता है अथवा बाल विवाह में सम्मिलित होता है तो 02 वर्ष तक का कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।