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आओ बच्चों आज खिलाऊँ।
हलवाई से मैं मँगवाऊँ।।
गोल जलेबी बड़ी रसीली।
उलझी-उलझी है रंगीली।।
बच्चों बूढ़ों को यह भाता।
दावत में है शान बढ़ाता।।
मीना-रीना तुम भी आओ।
एक जलेबी खाकर जाओ।।
देख-देख मुँह पानी आता।
’सुषमा’ का भी मन ललचाता।।
मुँह मीठे की बात निराली।
खाकर देखो ओ सोनाली।।
सड़क किनारे गरम जलेबी।
चलो चलें सब सखी सहेली।।
खाकर आएँ खूब मिठाई।
संग चलो तो है चतुराई।।
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सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)