छत्तीसगढ़

प्रधानमंत्री आवास योजना ने बदली ग्रामीण परिवारों की जिंदगी, घर मिलते ही चेहरे पर खिली खुशियां

कबीरधाम जिले में बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवारों को मिला लाभ, अब जीवन हो रहा आसान

कवर्धा मार्च 2025/sns/ हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका खुद का पक्का घर हो, जहां वह अपने परिवार के साथ सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सके, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण यह सपना अधूरा रह जाता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई परिवारों को कच्चे मकानों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) इन परिवारों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। इस योजना के तहत कबीरधाम जिले में बड़ी संख्या में हितग्राही अपने सपनों के घर में रह रहे हैं और उनके जीवन में खुशहाली आई है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ लाभार्थियों की प्रेरणादायक कहानियांकृ

संघर्ष से सम्मान तक,चंपा बाई की कहानी

ग्राम पंचायत दृ सेन्हाभाठा, विकासखंड पंडरिया ग्राम पंचायत सेन्हाभाठा की रहने वाली श्रीमती चंपा बाई, जो सामान्य वर्ग की विधवा महिला हैं, उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है। अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी, लेकिन एक पक्के मकान के अभाव में बरसात और सर्दी-गर्मी में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2024-25 में उन्हें आवास की स्वीकृति मिली। जैसे ही 40 हजार रुपये की पहली किस्त उनके बैंक खाते में पहुंची, उनके जीवन में एक नई रोशनी आई। धीरे-धीरे दूसरी और तीसरी किस्त भी जारी हुई, जिससे उनका घर पूरा हो गया। अब वे अपने नए, मजबूत और सुरक्षित पक्के मकान में रह रही हैं। इस योजना के साथ-साथ उन्हें मनरेगा के तहत 90 दिनों का रोजगार भी मिला, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर हुई। अब उनका जीवन पहले से अधिक सम्मानजनक और सुरक्षित हो गया है।

झोपड़ी से पक्के मकान तक कमलेश का सफर

ग्राम पंचायत बहरमुड़ा, जनपद पंचायत कवर्धा के ग्राम पंचायत बहरमुड़ा के श्री कमलेश साहू के लिए पक्का मकान बनाना एक दूर का सपना था। वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ कच्चे मकान में रहते थे और मजदूरी कर परिवार चलाते थे। उनकी पूरी आमदनी केवल खाने-पीने और रोजमर्रा की जरूरतों में खर्च हो जाती थी, जिससे मकान बनाने की कोई संभावना नहीं थी। प्रधानमंत्री आवास योजना ने उनके इस सपने को साकार किया। योजना के तहत उन्हें आवास की 40 हजार रुपये की पहली किस्त मिली, जिससे उन्होंने तुरंत घर बनाने का काम शुरू किया। निर्माण कार्य आगे बढ़ता गया और अन्य किश्तें भी जारी होती रहीं। इसी बीच, उन्हें मनरेगा के तहत 90 दिनों का रोजगार भी मिला, जिससे उन्होंने मजदूरी के रूप में 20 हजार रुपये से अधिक की आय प्राप्त की। अब कमलेश और उनका परिवार पक्के मकान में सुरक्षित और सम्मानपूर्वक जीवन बिता रहा है। उन्होंने कहा कि “अब हमें बारिश और तूफान की चिंता नहीं सताती। हमारा परिवार अब एक सुरक्षित छत के नीचे चैन की नींद सो सकता है।“

आवास योजना से बदल रहा ग्रामीणों का जीवन

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) कबीरधाम जिले के हजारों परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह योजना न केवल लोगों को पक्के मकान उपलब्ध करा रही है, बल्कि उन्हें रोजगार और आर्थिक संबल भी प्रदान कर रही है। जिन परिवारों के पास पहले सिर छिपाने के लिए एक मजबूत छत नहीं थी, वे अब अपने पक्के घर में रहकर बेहतर भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं।

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