छत्तीसगढ़

राजीव गांधी किसान न्याय योजना में किसान पंजीकरण कर रबी फसल लेने की कर रहे है तैयारी

दुर्ग , नवंबर 2021/शासन कि योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी किसानों के जीवन में रंग लाने लगी है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत खरीदे जाने वाले गोबर से जो वर्मी और कंपोस्ट खाद बनाये जा रहे हैं, उसी का परिणाम है कि जिले के किसान पुनः जैविक खेती से जुड़ रहे है। परंपरागत कृषि का विकास हो इसके लिए प्रशासन के द्वारा सकारात्मक कदम उठाये जा रहे है। इस वर्ष रासायनिक खादों के कच्चे माल की आपूर्ति से बाजार में रासायिनक खाद की कमी थी, लेकिन शासन कि दूर दृष्टिता के चलते जिले के किसानों के लिए वर्मी एवं कंपोस्ट खाद की उपलब्धता पर्याप्त माक्षा में थी जिसके चलते किसान ने बिना किसी बाधा के जैविक खेती की।
वर्तमान में जिले के सभी पंचायतों में किसान चौपाल का आयोजन भी किया गया था। जिसमें किसानों की खेती संबंधित समस्याओं को सुनकर उसका निदान करने का प्रयास भी किया गया था और कृषकों को बीज के साथ-साथ जैविक खेती से संबंधित जानकारियां भी मुहैया कराई गई थी। कृषि समन्वयकों द्वारा वर्मी कंपोस्ट खाद में केचुएं के महत्व को किसानों को बताया गया कि कैसे केचुएं भूमि की मिट्टी को लगातार पल्टकर मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाते हैं।
छत्तीसगढ़ देवभोग सुगंधित धान से की जैविक खेती की शुरूआत- बोरई के कृषक झवेन्द्र वैष्णव ने बताया कि वो इससे पहले अपने खेतो में रासायनिक खाद का उपयोग करते थे परंतु इस वर्ष मार्केट में डीएपी की किल्लत होने के कारण उसने बीच का रास्ता अपनाते हुए, अपने पांच एकड़ जमीन में से एक एकड़ जमीन में जैविक खेती करने का फैसला लिया। जिसके लिए कृषि विभाग के द्वारा उसे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से छत्तीसगढ़ देवभोग सुगंधित धान मुहैया कराया गया। उन्होंने बताया कि इस खेत में उन्होंने पूर्ण रूप से वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग किया है और फसल के परिणाम से वो बहुत ही खुश है। उनका खेत धान की बालियों से खचा-खच भरा हुआ था। बीते वर्ष में एक एकड़ में 15 क्विटल धान की औसत उपज प्राप्त हुई थी परंतु इस वर्ष उन्होंने 16 क्विटल धान का उत्पादन किया। इस परिणाम से संतुष्ट होकर उन्होंने भविष्य में अपने पूरे पांच एकड़ खेत में जैविक खेती करने का निर्णय लिया है।
परंपरागत खेती में कर रहे है पुनः वापसी और पशुपालन में भी अजमाएंगे हाथ- डॉ. टीकम सिंह साहू ने बताया कि उनके बड़े-बुढ़े अपने समय में केवल गोबर के खाद का उपयोग खेती के लिए किया करते थे। समय के साथ इसमें बदलाव आया और आने वाली पीढ़ी रसायनिक खाद का उपयोग करने लगी। लेकिन राज्य शासन ने जिस प्रकार नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के तहत् ग्रामीण संस्कृति को पुनः स्थापित किया है। उससे भविष्य में पुनः परंपरागत खेती की वापसी होगी। आज वो भी अपने खेतों में जैविक खेती कर रहे हैं और बताते हैं कि इसस उन्हें सघन और नियत ऊचांई की फसल प्राप्त हो रही है। जिन खेतों में उन्होंने रसायनिक उर्वरक का उपयोग किया था उस फसल में बालियां भी कम आई हैं और रसायनिक उर्वरक के प्रभाव से फसल की ऊंचाई बहुत ज्यादा होने के कारण फसल जमीन पर गिर गई है। जिन खेतों में विगत वर्षों से वो जैविक खेती कर रहे हैं उस खेत की मिट्टी में संतुलित नमी होती है जो कि फसल के लिए बहुत अच्छी है इससे उन्हें स्वस्थ्य खाद्यान्न प्राप्त हो रहा है। वर्तमान में उनके पास एक गाय और एक बैल है परंतु उनकी योजना है कि भविष्य में वो इनकी संख्या बढ़ाएंगे ताकि घर में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद बना सकें। पशुपालन के रूप में टीकम सिंह बकरी पालन करने का भी सोच रहे है।
घर में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार कर, सुधारी खेतों की सेहत – गनियारी के इंद्रजीत भरद्वाज जी घर में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करते हैं व अन्य किसानों को भी इसके लिए तैयार करते हैं। उन्होंने इसकी जिम्मेदारी गौठान में कार्य कर रही सचिव मथुरा साहू को दी है। मथुरा साहू ने बताया कि शासन की योजनाओं से वर्तमान में उन्हें आसानी से केचुंआ प्राप्त हो जाते हैं जिससे विगत कई वर्षों से उनके द्वारा वर्मी कम्पोस्ट तैयार किए जा रहे हैं। वर्मी कम्पोस्ट खाद में बदबु नहीं होती है इससे पर्यावरण भी दूषित नहीं होता। उन्होंने यह भी बताया कि जिस गौठान में वह कार्य करती हैं वहां वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री हाथों हाथ हो जाती है।
किसान राजीव गांधी न्याय योजना में रजिस्टेªशन कराकर रबी के फसल के लिए तैयार- किसान श्री मिथलेश देशमुख ने बताया कि इस बार उन्होंने बोराई के गौठान से वर्मी कंपोस्ट खाद क्रय कर अपने खेत एवं बाड़ी को तैयार किया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत राज्य शासन ने किसानों को जो इनपुट सब्सिडी देने का फैसला किया है उससे उत्साहित होकर वो इस बार रबी की फसल भी लेने वाले है। शासन कि योजना ही है जिससे मिथलेश प्रभावित होकर दलहन- तिलहन और फलों का वृक्षारोपण करने की सोच रहे है।
कृषि विभाग के श्री एस.एस. राजपूत ने बताया कि जिले में खेती के लिए आपार संभावनाएं हैं। क्योंकि यहां की मिट्टी का अधिक दोहन नहीं हुआ है, इसलिए यहां के किसान वर्मी खाद, कम्पोस्ट खाद और सुपर कम्पोस्ट खाद का उपयोग कर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे उन्हें बेहतर पैदावार और मुनाफा दोनों ही मिल रहे हैं। जिले में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे के निर्देश पर ग्राम सेवकों और कृषि विस्तार अधिकारी की विशेष टीम गठित की गई है। जो कि किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए कार्य कर रहे हैं। गौरतलब है कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि सभी किसान जैविक खेती पर आएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *