दुर्ग, 30 नवम्बर 2021। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एन.एफ.एच.एस.-5) के अनुसार जिले में 96.7 प्रतिशत प्रसव संस्थागत हो रहे हैं जो मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में एक महत्वपूर्ण कारक है। इनमें से 72 प्रतिशत प्रसव सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों एवं शेष निजी अस्पतालों में हो रहे हैं जबकि एन.एफ.एच.एस.-4 के आंकड़ों में 71% प्रसव ही संस्थागत हो रहे थे। पिछले आंकड़ों से तुलना में इस बार 26% अधिकसंस्थागत प्रसव हो रहे हैं। अनमेट नीड की दर हुई कमNFHS-5 सर्वे से यह भी पता चलताहै कि गर्भनिरोधक साधनों की कमी की दर में भी कमी आई है। यह 9% से घटकर लगभग 5%पर आ गयी है यानि इसमें 4% की कमी दर्ज हुयी है।यह दर ऐसे योग्य दम्पत्तियों की दर को दर्शाती है जिनको गर्भनिरोधकसाधनों की जरूरत है और वह उनको अपनाना भी चाहते हैं किन्तु उनकी पहुँच गर्भनिरोधकसाधनों तक नहीं है।गर्भनिरोधक साधनों कीउपलब्धता अनचाहे गर्भ से बचाता है और परिवार को सीमित करने में मदद करता है| आधुनिक गर्भनिरोधक साधनोंके उपयोग में भी हुयी बढ़ोत्तरी एन.एफ.एच.एस.-5 के आंकड़ों में योग्य दम्पत्तियों द्वारा आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग की दर में भी वृद्धि हुई है।यह दर एनएफएचएस-4 में 62% थी, जो इस बारके आंकड़ों में और बढ़कर 76% हो गई है।आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों में महिला नसबंदी, पुरुष नसबंदी, आइयूसीडी (कापर-टी),गर्भनिरोधक इंजेक्शन, गर्भनिरोधक गोलियां एवं कंडोम आदि को सम्मिलित किया जाता है। महिलाओंकी साक्षरता दर में आया सुधार जिलेमें महिलाओं की साक्षरता दर में भी सुधार देखने को मिल रहा है जहाँ पहले 75प्रतिशत महिलाएं ही साक्षर थीं वहीँ इस बार के आंकड़ों में 80 प्रतिशत महिलाएंसाक्षरता की श्रेणी में आयीं हैं। महिलाओं का साक्षर होना न केवल उनको सशक्त बनाताहै बल्कि समाज के लिए भी जरूरी होता है क्योंकि एक साक्षर महिला पूरे परिवार कोसाक्षर बनाती है| लड़कियों की 18 वर्ष सेपहले शादी की दर में आई कमीमहिलाओंकी साक्षरता का असर यह हुआ है कि अब लड़कियों की शादी देर से यानि सही उम्र में उनकीशादी हो रही है। लड़कियों की 18 वर्ष से कमउम्र में शादी के मामले में भी जिले ने बेहतर प्रदर्शन किया है। NFHS-4 के अनुसार लगभग 17 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले कर दीजाती थी किन्तु अभी ताजा रिलीज हुए NFHS-5 के आंकड़े यह बताते हैं कि अब यह दर घटकर 4% रह गयी है यानि ऐसेमामलों में 13% की कमी दर्ज की गयी है। जोकि महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए काफी सकारात्मक और अच्छासंकेत है। बच्चों के पोषण में आयासुधार, कम वजन के बच्चों की दर घटी सुपोषण अभियान का असर एनएफएचएस के आंकड़ों में भी नजर आ रहा है।NFHS-4 के आंकड़ों के अनुसार 36 प्रतिशत बच्चेकम वजन के थे जबकि अभी आये NFHS-5 के आंकड़े यह बता रहे हैं कि अब यह दर घटकर 27 प्रतिशत ही रह गयीहै यानि पहले के मुकाबले 9 प्रतिशत बच्चे सामान्य वजन की श्रेणी में पहुँच गए हैं। दो चरणों में हुआ सर्वे कोविड-19 के कारण जिले में एन.एफ.एच.एस.-5 का सर्वे दो चरणों में किया गया है। पहला चरण लॉकडाउन से पूर्व 16 जनवरी 2020 से 21 मार्च 2020 तक एवं दूसरा चरण 5 दिसंबर 2020 से 30 मार्च 2021 तक चला है। इस दौरान दुर्ग जिले के 910 घरों की 1,112 महिलाओं एवं 184 पुरुषों से जानकारी जुटाई गई है।
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