छत्तीसगढ़

आजादी का अमृत महोत्सव: सात दिसंबर तक फसल बीमा सप्ताह का आयोजन सरसों और अलसी की फसलों का 15 दिसंबर तक होगा बीमा


कोरबा दिसंबर 2021/देश की आजादी के अमृत महोत्सव के तहत अगले सात दिनों तक कोरबा जिले में भी फसल बीमा सप्ताह का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान रबी फसलों की खेती करने वाले अधिक से अधिक किसानों की खेतों में लगी फसलों का बीमा कराने का विशेष अभियान चलेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत चालू रबी मौसम के लिए जिले में सरसों और अलसी की फसलों को अधिसूचित किया गया है। जिले के किसान रबी फसलों का बीमा 15 दिसंबर तक करा सकेंगे। किसानों को सरसों की फसल का बीमा कराने के लिए प्रति हेक्टेयर 277 रूपए 50 पैसे और अलसी के लिए प्रति हेक्टेयर 255 रूपए प्रीमियम अदा करना होगा। बीमित फसलों का प्रतिकूल मौसम जैसे सूखा, बाढ़, कीट व्याधि, ओलावृष्टि आदि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की स्थिति में कृषकों को योजना के तहत बीमा दावा राशि का भुगतान किया जाएगा। बीमा कराने की इकाई गांव और अंतिम तिथि 15 दिसंबर 2021 है।
उप संचालक कृषि श्री अनिल शुक्ला ने आज यहां बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत ऋणी एवं अऋणी कृषक जो भू-धारक व बटाईदार हो सम्मिलित हो सकते हैं। ऋणी कृषक ऐच्छिक आधार पर फसल बीमा करा सकते हैं, जिसके लिए कृषक को निर्धारित प्रपत्र में हस्ताक्षरित घोषणा पत्र बीमा की अंतिम तिथि 15 दिसंबर 2021 के सात दिन पहले संबंधित बैंक में अनिवार्य रूप से जमा करना होगा। कृषक द्वारा निर्धारित प्रपत्र में घोषणा पत्र जमा नहीं करने पर संबंधित बैंक द्वारा संबंधित मौसम के लिए स्वीकृत व नवीनीकृत अल्पकालीन कृषि ऋण का अनिवार्य रूप से बीमा किया जाना है। अधिसूचित फसल उत्पादक सभी गैर ऋणी कृषक, जो योजना में सम्मिलित होने के इच्छुक हो, वे बुआई पुष्टि प्रमाण पत्र अपने इलाके के पटवारी व ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा सत्यापित कराकर एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर योजना में सम्मिलित हो सकते हैं।
उप संचालक कृषि श्री शुक्ला ने बताया कि ऋणी कृषकों का बीमा संबंधित बैंक, सहकारी समिति द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाएगा, उन्हें केवल घोषणा एवं बुवाई प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। अऋणी कृषकों को बैंक, सहकारी समिति एवं लोक सेवा केन्द्र में बीमा प्रस्ताव फार्म, नवीनतम आधारकार्ड, बैंक पासबुक, भू-स्वामित्व साक्ष्य (बी-1 पांचसाला), किरायादार, साझेदार कृषक का दस्तावेज, बुवाई प्रमाण पत्र एवं घोषणा पत्र प्रदाय कर बीमा करा सकते हैं। कृषकों द्वारा फसल बीमा कराने हेतु अपने संबंधित समिति, संबंधित बैंक, बीमा प्रदाय कंपनी (एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड), लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से अपनी फसलों का बीमा करा सकते हैं।
उप संचालक कृषि ने बताया कि अधिसूचित क्षेत्र एवं अधिसूचित फसल के लिए अलग-अलग वित्तीय संस्थाओं से कृषि ऋण स्वीकृत होने की स्थिति में कृषक को एक ही स्थान से बीमा कराया जाना है। इसकी सूचना कृषक को संबंधित बैंक को देनी होगी। ऋणी एवं अऋणी कृषकों के द्वारा समान रकबा, खसरा का दोहरा बीमा कराने की स्थिति में कृषक के समस्त दस्तावेज को निरस्त करने का अधिकार बीमा कंपनी के पास होगा। कृषक द्वारा अधिसूचित फसल के नाम में बदलाव करने के लिए संबंधित बैंक में लिखित रूप से बोनी प्रमाण पत्र बीमा आवेदन की अंतिम तिथि से दो दिवस पूर्व जमा कर फसल परिवर्तन कर सकते है। उपसंचालक ने बताया कि फसल बीमा कराने के लिए समस्त ऋणी एवं अऋणी कृषक को आधार कार्ड की नवीनतम व अद्यतन छायाप्रति संबंधित बैंक व संस्थान को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाना है। आधार कार्ड उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में फसल बीमा नहीं किया जा सकेगा। फसल उत्पादन के आंकलन के लिए अधिसूचित बीमा इकाई ग्राम में फसल कटाई प्रयोग आयोजित करने के उपरांत प्रयोग से प्राप्त वास्तविक उपज, थ्रेस-होल्ड उपज से कम प्राप्त होने पर बीमित किसानों को बीमित राशि के आधार पर दावा भुगतान किया जाएगा। वास्तविक उपज, थ्रेसहोल्ड उपज से अधिक होने पर दावा भुगतान की पात्रता नहीं होगी।
उप संचालक कृषि श्री अनिल शुक्ला ने जिले के किसानों से अपील की है कि गत वर्ष एवं इस वर्ष मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए अधिक से अधिक संख्या में कृषक अपनी फसलों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत बीमा कराएं। ऐसे कृषक जो बैंक से डिफाल्टर की श्रेणी में हैं, वो भी अऋणी कृषक के रूप में अपने फसलों का बीमा करा सकते हैं। फसलों का बीमा करवाने के लिए समय कम होने के कारण अंतिम तिथि का इंतजार न करते हुए कृषक स्वयं अपने नजदीकी सहकारी समिति, बैंक, लोक सेवा केन्द्र में सम्पर्क कर फसलों का बीमा करावें ताकि मौसम के कारण नुकसान होने पर किसानों को क्षतिपूर्ति मिल सके। किसान इस संबंध में अपने क्षेत्र के ग्रामीण विस्तार अधिकारी या विकासखण्ड स्तर पर कृषि विकास अधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं।

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