बिलासपुर / दिसम्बर 2021। पी.सी.पी.एन.डी.टी. अंतर्गत गठित जिला सलाहकार समिति, जिला नोडल अधिकारियों, शहरी कार्यक्रम प्रबंधक, एवं आर.एम.एन.सी.एच. सलाहकार का संभाग स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण सह वर्कशाप का आयोजन आज किया गया।
इस प्रशिक्षण में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 के प्रावधानों एवं इसमें समय-समय पर हुए संशोधनों की विस्तृत जानकारी दी गई और शंकाओं का समाधान किया गया। पी.सी.पी.एन.डी.टी. राज्य समिति के संयुक्त संचालक डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि अधिनियम के प्रावधानों को कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलों में पी.सी.पी.एन.डी.टी. समिति का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2011 की जनगणना में लिंगानुपात 991 था और वर्ष 2020 के वार्षिक महत्वपूर्ण आंकड़ों के अनुसार यह 938 है। इस गिरावट को रोकने के लिए प्राइवेट सेक्टर और आम जनता में लिंग भेद के प्रति जागरूकता लाना हमारा उद्देश्य है। संयुक्त कलेक्टर श्रीमती अंशिका पाण्डेय ने कहा कि अधिनियम के संचालन के लिए पी.सी.पी.एन.डी.टी. सलाहकार समिति का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रशिक्षण के माध्यम से एक्ट के प्रावधानों को और विस्तार से जाना जा सकेगा। वर्कशाप के माध्यम से समाज की मानिसकता किस ओर जा रही है यह देखने का अवसर मिलेगा और लिंगानुपात में कमी के कारण पर फोकस किया जा सकेगा।
प्रशिक्षण में सोनोग्राफी सेंटर के पंजीयन की प्रकिया, उपयुक्त प्राधिकारी के लिए स्टैण्डर्ड आॅपरेटिंग गाइडलाइन, सोनाग्राफी के लिए नया लाईसेंस जारी करने की प्रकिया और लाईसेंस का नवीनीकरण, लिंग परीक्षण के लिए पंजीकृत संस्थाओं के निरीक्षण की प्रक्रिया, कोड आॅफ कंडक्ट आदि की विस्तार से जानकारी दी गई और पी.सी.पी.एन.डी.टी. समिति के कार्याें एवं दायित्वों पर भी प्रकाश डाला गया। स्टेट कंसलटेंट डाॅ. वर्षा राजपूत ने पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट के संबंध में अपना प्रजेण्टेशन दिया। कार्यशाला के अंत में संभागीय नोडल अधिकारी डाॅ. अविनाश खरे ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लिंग परीक्षण के लिए पंजीकृत संस्थाओं का हर तीन माह में निरीक्षण किया जाना चाहिए। जिले मंे कितने अपंजीकृत सेंटर चल रहे है, यह पता करना भी अनिवार्य है। उन्होंने सभी संस्थाओं में एक्टिव ट्रेकर सिस्टम के माध्यम से निगरानी रखने का सुझाव दिया। इस संबंध में कोई भी शिकायत एवं सूचना मिलने त्वरित रूप से कानूनी कार्यवाही उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा की जा सकती है।
प्रशिक्षण में बिलासपुर संभाग के विभिन्न जिलों के नोडल अधिकारी, पी.सी.पी.एन.डी.टी. सलाहकार समिति के सदस्य आदि उपस्थित थे।