रायगढ़, दिसम्बर2021/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार अब ग्राम पंचायतों के आश्रित ग्राम के पशुपालकों का गोबर क्रय उस ग्राम पंचायत के गौठानों में किया जाएगा। कलेक्टर श्री भीम सिंह ने इसके लिए सभी सीईओ जनपद व कृषि विभाग के अधिकारियों को पंचायतों के आश्रित ग्रामों के पशुपालकों को सूचित करने व उनका गोबर विक्रय हेतु गौठानवार पंजीयन के निर्देश दिए है।
शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के सफल क्रियान्वयन से पूरे देश मेें छत्तीसगढ़ राज्य चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्व में जहॉ गाय के गोबर को अपशिष्ट के रूप में देखा जाता था किन्तु राज्य शासन के योजना के फलस्वरूप आज गोबर से केचुआ उत्पादन एवं वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण से खेतों की उर्वरता को नया जीवन मिला है। यही कारण है कि शासन गोबर क्रय के माध्यम से पशुपालक को लाभान्वित करने के लिए गौठानों की पहुंच भी आसान बना रही है। जिससे अधिक से अधिक गौ पालक लाभान्वित हो सके और गोबर बेच सके। शासन की मंशानुरूप आज गौठानों के माध्यम से गोबर के बहुआयामी उपयोग से गोधन न्याय योजना को सार्थक किया जा रहा है। पूर्व में गाय के गोबर का उपयोग सामान्य खाद एवं गोबर गैस निर्माण में किया जाता था। लेकिन शासन की योजना प्रारंभ होने से केचुए के माध्यम से वर्मी खाद बना कर जमीन की उर्वरता को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाया जा रहा है। गोबर खरीदी के माध्यम से पशुपालकों को जहां आर्थिक लाभ हुआ है वहीं महिला समूहों को वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के द्वारा रोजगार मिला है। वर्तमान में गोबर से पेन्ट बनाये जाने का कार्य भी प्रारंंभ किया गया है। ग्राम पंचायतों के गौठानों में गोबर खरीदी से पशुपालकों की पहुंच आसान हो जाएगी। इससे पशुपालक द्वारा गोबर की ब्रिकी भी बढ़ेगी। गोबर ब्रिकी के माध्यम से पशुपालकों के आय में वृद्धि होगी साथ ही वो आर्थिक रूप से मजबूत भी होंगे। आज गौठानों में निर्मित जैविक खाद ने खेतों को रसायनिक खाद से निर्भरता कम की है। जिससे आज खेतों की उर्वरता व उत्पादकता में भी वृद्धि हो रही है। मिट्टी व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रसायनिक खाद के बीच सस्ते जैविक खाद की उपलब्धता ने किसानों के खेतों में उपलब्ध मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाया है। जिससे किसानों का झुकाव अब जैविक कृषि की तरफ बढ़ा है, क्योंकि जैविक कृषि से किसानों को कम मूल्य में अच्छी उत्पादकता प्राप्त हो रही है।