लासपुर, 01 जनवरी 2022। बिलासपुर सेंट्रल जेल में बंद कैदियों के बच्चों के लिये नया वर्ष खुशियों का पैगाम लेकर आया है। संवेदनशील संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग की पहल पर जेल परिसर में रहने वाले 8 बच्चों को प्रतिष्ठित स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है। इनमें चार बालक व चार बालिकायें हैं, जिनकी उम्र 6 से 13 वर्ष है।
संभागायुक्त डॉ. अलंग ने बिलासपुर में कलेक्टर रहने के दौरान जेल परिसर में कैदियों के साथ रहने वाले बच्चों को अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाने की पहल शुरू की थी। वे हर वर्ष प्रयास करते हैं कि जेल के मुक्ताकाश में रहने वाले और जेल में बंद अपने पालक के साथ रहने वाले बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाया जाये। इसी कड़ी में उनके प्रयास से आठ बच्चों को इस वर्ष अच्छे स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिला है।
ज्ञात हो कि सजायाफ्ता कैदियों के बच्चे जिनकी उम्र 6 वर्ष से अधिक हो जाती है उनका पालन पोषण जेल परिसर में स्थापित मुक्ताकाश में किया जाता है। इन बच्चों को आसपास के स्कूलों में शिक्षा प्रदान की जा रही थी। लेकिन डॉ. अलंग के प्रयास से इन बच्चों को अब उत्कृष्ट विद्यालयों में प्रवेश मिला है।
डॉ. अलंग की पहल पर छत्तीसगढ़ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर में पढ़ने वाले 13 वर्षीय एक बालक को स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल में प्रवेश दिलाया गया है। इसी तरह शिवाजी राव प्राथमिक शाला इमलीपारा बिलासपुर में कक्षा 5वीं के 11 वर्षीय बालक, कक्षा तीसरी के 7 वर्षीय बालक, कक्षा पहली के 6 वर्ष के बालक, कक्षा चैथी की 8 वर्षीय बालिका व कक्षा पांचवीं की 9 वर्षीय बालिका को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश दिलाया गया है। मुक्ताकाश में ही रह रही 13 व 14 वर्षीय दो बालिकाएं जो देवकीनंदन उच्चतर माध्यमिक शाला में पढ़ रही थीं, वे भी अब बर्जेश हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ेंगीं।
इन बच्चों के माता-पिता कमिश्नर डॉ. अलंग की पहल से गद्गद् है और उनको आशा है कि इससे उनके बच्चे भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ेंगे और अपने सपने पूरे करेंगे।