छत्तीसगढ़

ग्रामीण स्वच्छता सर्वे पूरा, जल्द आएंगे नतीजे केंद्रीय टीम ने पूरा किया सर्वे, 22 पंचायतों में किया सर्वे

दुर्ग/ जनवरी 2022/ग्रामीण स्वच्छता को लेकर सरकार की सबसे बड़ी कवायद पूरी हो चुकी है। दुर्ग जिले की 22 पंचायतों में स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2021 पूरा हो चुका है। इसके लिए केंद्रीय टीम इप्सास के दल ने ग्रामीण क्षेत्रों का व्यापक सर्वे कर लिया है। शीघ्र ही देश भर में सर्वेक्षण के नतीजे सामने आएंगे और दुर्ग जिले के ग्रामीण इलाकों में साफ-सफाई की स्थिति की स्पष्ट तस्वीर देश भर के सामने आएगी। सर्वेक्षण में हजार अंक रखे गये हैं। इनमें से 350 अंक सर्विस लेवल प्रोग्रेस से हैं अर्थात स्वच्छता के संबंध में किस तरह की अधोसंरचना जिले में है। इसके बाद स्वच्छता को लेकर किये जा रहे प्रयासों पर ग्रामीण फीडबैक पर 350 अंक रखे गये हैं। टीम ने प्रत्यक्ष अवलोकन भी किया और इसके आधार पर 300 अंक दिये जाएंगे। इस संबंध में चर्चा करने पर जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन ने बताया कि कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की बेहतर स्थिति के लिए पंचायत विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये गये हैं। सर्वेक्षण में जिन पहलुओं को लिया गया है उन सभी पर ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा काम अमले द्वारा किया गया है। उल्लेखनीय है कि टीम ने यादृच्छक रूप से ग्राम पंचायतों का चयन निरीक्षण के लिए किया है और सभी जगहों में बेहतर अधोसंरचना सफाई को लेकर दिखी। पांच ऐसी बातें हैं जिनमें स्वच्छता सर्वे में विशेष ध्यान दिया गया है।
वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर अच्छा काम जिससे मिलेंगे बेहतर अंक- स्वच्छता सर्वेक्षण में वेस्ट मैनेजमेंट पर बहुत अधिक जोर दिया गया है। शहरी के साथ ही ग्रामीण इलाकों की पहचान बेतरतीब पड़े कचरे, अव्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम को लेकर होती है और बरसात में इसकी वजह से भयंकर अव्यवस्था होती है। दुर्ग में 100 से अधिक ग्राम पंचायतों में डोर डू डोर कलेक्शन और वेस्ट मैनेजमेंट प्लान चल रहा है। रिक्शों के माध्यम से स्वच्छताग्राही कलेक्शन कर रहे हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय अपेक्षा करता है कि कम से कम 5 प्रतिशत गांवों में ऐसा हो, दुर्ग में यह 25 प्रतिशत है।
व्यक्तिगत शौचालय के मामले में- व्यक्तिगत शौचालयों के संबंध में भी सर्वे काफी जोर देता है। इस लिहाज से दुर्ग जिला काफी बेहतर है। पांचवें नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के नतीजों पर गौर करें तो दुर्ग में 89.5 प्रतिशत व्यक्तिगत शौचालय का यूटिलाइजेशन पाया गया है। पूरे प्रदेश में दुर्ग जिले का दूसरा स्थान है। जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि ओडीएफ गांव के बाद भी जरूरत के मुताबिक 3500 अतिरिक्त व्यक्तिगत शौचालय बनाये गये हैं।
मेंस्ट्रल हाइजिन के मामले में बढ़िया काम- स्वच्छता सर्वेक्षण इस बात पर विशेष ध्यान रखता है कि मेंस्ट्रल हाइजिन को लेकर कितना काम ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है क्योंकि इस संबंध में जागरूकता शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में कम होती है। दुर्ग जिले में 196 गांवों में सैनिटरी नैपकिन का सेल्फ डिस्पोजल महिलाएं कर रही हैं इसकी ट्रेनिंग दी जा चुकी है और यह प्रैक्टिस में आ चुका है। इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने के लिए 25 एनजीओ को एक लाख रुपए दिये गये। इसके माध्यम से वे जागरूकता भी फैला रहे हैं और सैनेटरी पैड्स उपलब्ध कराने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं।
स्वच्छताग्राहियों की बड़ी टीम- पंचायतों में स्वच्छता का दारोमदार सबसे अधिक स्वच्छताग्राहियों पर हैं। तीन हजार से अधिक स्वच्छताग्राही हर दिन सुबह-सुबह साफसफाई का कार्य भी करते हैं और लोगों से स्वच्छता का आग्रह भी करते हैं। इस तरह की बड़ी और संकल्पित मशीनरी की वजह से कठिन लक्ष्य भी हासिल करने में सहयोग मिल रहा है और वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर में बड़ी मात्रा में कचरा पहुंच रहा है।
लिक्विड मैनेजमेंट को लेकर भी बड़ा काम- लिक्विड मैनेजमेंट को लेकर भी शानदार काम हो रहा है। घुघुवा पंचायत को ही लें, यहां हाल ही में लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट का बड़ा सेंटर तैयार किया गया है। पूरे गांव का ड्रेनेज सिस्टम इससे बेहतर हो गया है। ड्रेनेज सिस्टम बेहतर होने से गांव का पानी भी बेहतर हो रहा है। सर्वे में यह बातें भी रेखांकित होंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रेनेज सिस्टम को ठीक कर गांव के इकोसिस्टम को ठीक करने के कार्य युद्धस्तर पर किये जा रहे हैं। इसी क्रम में ग्राम घुघुवा में भी ग्रे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा हो गया है। इस प्लांट के तैयार हो जाने से घुघुवा के बोहरी तालाब के पानी की गुणवत्ता भी पहले की तुलना में काफी ठीक हुई है। यह प्लांट स्वच्छ भारत मिशन एवं वाटर एड संस्था ने 7 लाख रुपए की लागत से तैयार किया है।

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