छत्तीसगढ़

कुपोषण दर में आई 14 प्रतिशत की कमी, प्रदेश में मिला दूसरा स्थान

सुकमा, जनवरी 2022/ सुपोषित महिलाएं और सुपोषित बच्चें ही सुनहरे भविष्य की पहली सीढ़ी होते हैं। महिलाओं और बच्चों के विकास और उनके स्वास्थ्य को बेहतर रखने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा लगातार पोषण स्तर में सुधार और बेहतरी का प्रयास किया जा रहा है। कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने व सुपोषण के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन योजना, महतारी जतन योजना, प्रधानमंत्री मातृवंदन योजना संचालित है। इन योजनाओं के सुव्यवस्थित क्रियान्वयन के फलस्वरूप कुपोषण में 14 प्रतिशत की कमी आई है।
शून्य से पाँच वर्ष के बच्चों में कुपोषण का स्तर नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 वर्ष 2016 के अनुसार सुकमा जिला का 51.6 प्रतिशत था। वर्तमान में जारी नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 वर्ष 2021 के अनुसार सुकमा जिला का 37.4 प्रतिशत है, अर्थात ताजा जारी आंकड़ों के अनुसार सुकमा जिले में कुपोषण में 14 प्रतिशत की कमी हुई है। सुकमा जिला कुपोषण की दर में कमी लाने पर राज्य में दूसरे स्थान पर है।
जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में जिले में तीन मुख्यमंत्री सुपोषण केन्द्र (एनआरसी) छिन्दगढ़, दोरनापाल एवं कोन्टा में संचालित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुपोषण केन्द्र 28 जनवरी 2021 से प्रारंभ किया गया है। सुपोषण केंद्र में न केवल कुपोषण अपितु भोजन के तरीके एवं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पोषक सामग्रियों का समावेश, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में सुधार लाने का भी प्रयास किया जा रहा है। शासन प्रशासन के इस पहल से ग्रामीणों में भी स्वच्छता, पोषण और संतुलित आहार को लेकर जागरूकता आई है। वे स्वयं अपने बच्चों की जाँच कराने नियमित तौर पर आंगनबाड़ी केन्द्र ले आते हैं। इसके साथ ही आवश्यकता अनुरुप मुख्यमंत्री सुपोषण केन्द्रों में भी बच्चों को दाखिल करवाते हैं। जिसमें पहले ग्रामीणों को झिझक होती थी। अब तक तीनों सुपोषण केन्द्रों में कुल 861 कुपोषित बच्चों को भर्ती कराकर उचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराते हुए 334 बच्चों का वजन बढ़ाया गया है।
वर्तमान में मनरेगा के अभिसरण से पक्के भवन 6.45 लाख रुपए से आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कराया जा रहा है। पहुंचविहिन एवं संवेदनशील क्षेत्रों में भवन की सुविधा उपलब्ध नहीं होने कर स्थिति में ग्राम पंचायतों के द्वारा अस्थाई आंगनबाड़ी का निर्माण किया गया है एवं जिला स्तर पर उपलब्ध संसाधनों द्वारा प्रीफैब में भी आंगनबाड़ी भवन स्वीकृत कर निर्माण कराया गया है। जिले में स्वीकृत 1040 आंगनबाड़ी केन्द्रों के विरूद्व 991 आंगनबाड़ी केन्द्र वर्तमान में संचालित है। जिले के लगभग सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों हेतु भवन स्वीकृत किया गया है। उक्त स्वीकृत भवनों में से 721 आंगनबाड़ी भवन वर्तमान में पूर्ण है, जिसमें 702 आंगनबाड़ी केन्द्र स्वयं के भवन में संचालित है। इस प्रकार उपलब्ध आबंटन एवं अभिसरण से शीघ्र ही समस्त आंगनबाड़ियों का समुचित संचालन स्वयं के भवनों में किये जाने का प्रयास किया जा रहा है।

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