रायगढ़, फरवरी 2022/ खेती-किसानी के लिए अधिकतर किसान मानसून पर निर्भर रहते है। लेकिन राज्य में जलवायु परिवर्तन के कारण अब वर्षा की अनियमितता तथा मानसून का सत्र कम होते जा रहा है। इसलिए मानसून के दौरान प्राप्त वर्षा जल को नदी-नालों में अधिक प्रभावी ढंग से एकत्रित कर जब जरूरत हो तब कृषकों को फसलोत्पादन हेतु सिंचाई के रूप में जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एनीकट या बांध का परिकल्पना नितांत आवश्यक है।
रायगढ़ जिले के वे सभी गांव बिजकोट, नवापाली, धनुहारडेरा, भाठनपाली जिनके समीप केलो नदी गुजरती है उनके साथ नाभिलाबद्ध है। इन ग्रामों से जीवनदायिनी के रूप में केलो नदी अनवरत रूप से बहती हुई। आस-पास के ग्रामीणों के जीविका का स्त्रोत बनकर उड़ीसा में गुदुम नामक ग्राम के पास जाकर महानदी में विलिन हो जाती है। जो इस रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड के प्राकृतिक संपदा ही नहीं वरन जन जीवन का मूल आधार भी है।
रायगढ़ जिले की पुसौर विकासखण्ड के इस निम्न सिंचित क्षेत्र के कृषकों को कृषि आवश्यकतानुसार नियमित रूप से उदवहन सिंचाई द्वारा जल प्रदाय एवं निस्तारी तथा किसानों के कृषि के रूप में आर्थिक रूप से उन्नत एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतु रायगढ़ विकासखण्ड के इन क्षेत्रों में सिंचाई क्षमता में वृद्धि हेतु ग्राम-धनुहारडेरा एवं भाठनपाली के मध्य केलो नदी पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा 14 जून 2021 को 609.45 लाख रुपये की लागत से धनुहारडेरा एनीकट योजना का शिलान्यास किया गया और अंचलवासियों को सिंचाई नेटवर्क विकसित करने की दिशा में देखे जा रहे वर्षों पुराने सपने को साकार किया है ताकि रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड का यह अंचल भी विकास की मुख्य धारा में शामिल हो सके।
धनुहारडेरा एनीकट योजना जिला रायगढ़ के पुसौर विकासखण्ड एवं विधानसभा क्षेत्र रायगढ़ अंतर्गत स्थित है। योजना का कार्यस्थल ग्राम धनुहारडेरा एवं भाठनपाली के मध्य केलो नदी पर जिला मुख्यालय से लगभग 09 कि.मी. दूरी पर स्थित है। योजना के पूर्ण होने पर आस-पास के ग्रामों के 230 हेक्टेयर में स्वयं के उद्वहन द्वारा सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। योजना के निर्माण हेतु तकनीकी स्वीकृति मुख्य अभियंता हसदेव कछार जल संसाधन विभाग बिलासपुर द्वारा प्रदान की गई है। वर्तमान में रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड के यह महत्वाकांक्षी योजना का निर्माण जल संसाधन संभाग रायगढ़ के कार्यपालन अभियंता के कुशल मार्गदर्शन में होना है। जिसे तयशुदा समयानुसार निर्माण पूर्ण किये जाने हेतु जल संसाधन विभाग संकल्पित है। धनुहारडेरा एनीकट योजना के निर्माण हो जाने के पश्चात् जिले के पूर्वी क्षेत्र के जनजीवन की आवश्कताओं को पूर्ति करने में तथा सामाजिक आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका साबित होते हुए अंचल के कृषि क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का विकास किया जाना संभव होगा। चूंकि यह एनीकट कम काजवे है, जिसके निर्माण से ग्रामीणजन सुलभता से एक दूसरे के गांवों को कम समय में आवागमन की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। एनीकट निर्माण पश्चात यह एक जलाशय जैसा पानी का एकत्रीकरण रहेगा, जो जल संर्वधन के साथ-साथ तथा प्रकृति की दृष्टि से शांत वातावरण और हरी-भरी हरियाली से युक्त होकर पर्यटक पक्षियों के कई प्रजातियों एवं वन्य जीवों के फलने-फूलने की सुविधा को भी प्रदान करेगा। यह एक पिकनिक स्थल के रूप में भी चिन्हित होगा साथ ही साथ स्वावलंबन की राह में मत्स्य उद्योग को उद्यम का जरिया बनाकर आस-पास के ग्रामीणों का आर्थिक रूप से उन्नत होने के लिए भी सफलता की राह हासिल हो सकेगा। धनुहारडेरा के समीप निर्मित होने वाला यह धनुहारडेरा एनीकट कम काजवे का राज्य में हो रहे चहुमुखी विकास के क्रम में रोशनी भरा योगदान रहेगा तथा राज्य सरकार के हरित क्रान्ति के सपने को भी साकार करेगी।