रायगढ़, 10 फरवरी 2022/ लॉक डाऊन की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर हुए असर को कम करने एवं वांछित उपलब्धि स्तर को प्राप्त करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन के स्कूली शिक्षा विभाग ने कवायद शुरू कर दिया है। प्रमुख सचिव डॉ.आलोक शुक्ला के निर्देशानुसार शिक्षा विभाग ने विविध नवाचारी शिक्षा मॉडल एवं गतिविधियों के माध्यम से बच्चों मे हुई लर्निंग लॉस को कम करने और निर्धारित उपलब्धि स्तर प्राप्त करने के लिए रोडमैप तैयार कर जमीनी स्तर पर साकार करने जुट गया है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बुनियादी शिक्षा और गणितीय कौशल विकास अंतर्गत कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को दक्ष बनाने के लिए सौ दिवसीय विशेष अभियान की शुरुआत किया गया है।
प्रदेश के तमाम सरकारी विद्यालयों मे अध्ययनरत बच्चों की पढ़ाई पर हुए प्रतिकूल प्रभाव के देखते हुए इन दिनों स्कूल शिक्षा विभाग विभिन्न नवाचारी शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में शैक्षिक गुणवत्ता और उपलब्धि स्तर प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। शिक्षा गुणवत्ता में आवश्यक सुधार कसावट के साथ-साथ बेहतर विद्यालय प्रबंधन के लिए इस बार अकादमिक निरीक्षण के बेहतर क्रियान्वयन को भी प्रमुखता दिया जा रहा है। इसी अनुक्रम में आज राज्य परियोजना कार्यालय रायपुर द्वारा एक महत्वपूर्ण वेबीनार का आयोजन किया गया। उक्त वेबीनार मे शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.आलोक शुक्ला, प्रबंध संचालक नरेंद्र दुग्गा ने अकादमिक मॉनिटरिंग एवं बच्चों की उपलब्धि स्तर के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दिए। डॉ.आलोक शुक्ला ने कोरोना काल में हुए लर्निंग लॉस को कम करने एवं निर्धारित उपलब्धि स्तर को प्राप्त करने के लिए नवाजतन और एससीईआरटी के द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न नवाचारी गतिविधियों को शत-प्रतिशत विद्यालय स्तर पर साकार करने निर्देशित किया गया। डॉ.शुक्ला ने शत-प्रतिशत बच्चों के वास्तविक आंकलन के निर्देश दिया जिससे बच्चों का आगामी समय में समग्र विकास हो सके। उन्होंने अकादमिक मॉनिटरिंग के लिये निर्धारित बिंदुओं का जमीनी स्तर पर प्राथमिकता से आंकलन करने को कहा ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलने के साथ बेहतर विद्यालय प्रबंधन को सुनिश्चित किया जा सके। डॉ.शुक्ला ने सभी विद्यालयों तक किलोल पत्रिका की उपलब्धता एवं सदस्यता लेने सुनिश्चित करने को कहा। वेबिनार के दौरान संचालक समग्र शिक्षा श्री नरेंद्र दुग्गा ने शत-प्रतिशत शालाओं की बिंदुवार मॉनिटरिंग कर वास्तविक जानकारी की प्रवष्टि ऑनलाइन करने एवं समग्र शिक्षा से प्राप्त विभिन्न मदों की राशि समय सीमा में खर्च करने जे निर्देश दिए।
ज्ञात हो वर्तमान में जिले में कोरोना प्रभाव कम होने के कारण 08 फरवरी 22 से स्कूल प्रारंभ कर दिए गए है। शाला प्रारम्भ होने के बाद शालाओं में कसावट लाने के उद्देश्य से सभी स्कूलों को सघन मॉनिटरिंग करने के निर्देश राज्य शासन से दिए गए है। जिसके लिए छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 27 बिंदुओं का मूल्यांकन प्रपत्र तैयार किया गया है। जिसमें 100 अंकों के आधार पर सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों की मॉनिटरिंग सघनता पूर्वक राज्य से संकुल स्तर तक के सभी निरीक्षणकर्ता अधिकारी यथा सहायक संचालक, एपीसी, बीइओ, एबीईओ, बीआरसीसी, संकुल प्राचार्य एवं सीएसी सतत् निरीक्षण करेंगे एवं निरीक्षण कर इसकी ऑनलाइन एंट्री भी की जाएगी। इसी तरह बच्चों में भाषाई एवं गणितीय दक्षता विकसित करने के लिए 100 दिन का पठन एवं गणितीय कौशल विकास अभियान, पूरे राज्य की तरह रायगढ़ जिले में भी राज्य कार्यालय के निर्देशानुसार सफलतापूर्वक संचालित हो रही है।
आज के बेबीनार के संबंध मे जिला शिक्षा अधिकारी श्री आर.पी.आदित्य ने कहा कि अकादमिक मॉनिटरिंग के द्वारा विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाने एक सार्थक प्रयास है। इसके माध्यम से स्कूलों के निरीक्षण एवं प्रगति पर नजर रखने के लिए तथा विशेष रूप से विद्यार्थियों में शैक्षणिक गुणवत्ता एवं दक्षताओं के विकास को नजदीक से परखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। जिला मिशन समन्वयक श्री आर.के.देवांगन ने इस संदर्भ में बताया कि आज के वेबीनार का उद्देश्य अकादमिक मॉनिटरिंग के द्वारा विद्यालयों में संचालित तमाम गतिविधियों में कसावट लाना और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि अकादमिक मॉनिटरिंग बच्चों के समग्र विकास एवं विद्यालय में बेहतर प्रबंधन के साथ बेहतर शैक्षणिक परिवेश के निर्माण के दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। श्री देवांगन ने बताया कि बेबीनार में दिए गए निर्देशानुसार जिले मे मॉनिटरिंग व्यवस्था सुदृढ़ किया जाएगा। इसी प्रकार सहायक परियोजना अधिकारी श्री भुवनेश्वर पटेल ने आज के वेेबीनार की उपयोगिता के संदर्भ में बताया कि अकादमिक मॉनिटरिंग का उद्देश्य विद्यालयों के बीच स्वस्थ्य प्रतियोगिता की भावना का विकास करना तथा बुनियादी और मूलभूत सुविधाओं का बेहतर सदुपयोग कराना है। अकादमिक मॉनिटरिंग सतत चलने वाली प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत शिक्षा के विविध आयमों का सजगतापूर्वक सफल क्रियान्वयन करना है। विद्यालय एवं विद्यालय विकास के लिए बेहतर वातावरण का निर्माण करने शिक्षकों, अभिवावकों में जागरूकता लाना है।