छत्तीसगढ़

नेशनल आयरन प्लस इनिशिएटिव कार्यक्रम

एनीमिया की रोकथाम हेतु जीवनचक्र आधारित रणनीति

रायपुर 14 फरवरी 2022/ एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हैं, जो व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक क्षमता को विपरीत रूप से प्रभावित करती है। इसमें हमारे खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाये जाने वाले ऐसा तत्व है, जो ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है। एनीमिया के कई कारण हैं, इनमें से प्रमुख है, आयरन की कमी। तेज विकास और आहार में अपर्याप्त आयरन के कारण 6 माह से 60 माह के बच्चे, शारीरिक विकास और मासिक धर्म के कारण किशोरियां तथा आयरन की बढ़ी हुई आवश्यकता के कारण गर्भवती महिलाएं सबसे अधिक खतरे में होती है।

एनीमिया के संकेत मुख्य रूप से नाखून, जीभ, हथेली, और आँखों में लालिमा की कमी को माना जाता है तथा एनीमिया के लक्षण जैसे- सांस फूलना, थकावट, घबराहट, चक्कर आना, ध्यान में कमी, बार-बार बीमार पड़ना आदी है। आयु अनुसार शारीरिक वृद्धि न होना या रूक जाना, माहवारी का देर से शुरू होना, कम वजन के बच्चे का जन्म तथा मातृ व शिशु मृत्यु एनीमिया के दीर्घकालीन प्रभाव है।

6 माह से 60 माह के बच्चों को आई.एफ.ए. सिरप सप्ताह में दो बार (मंगलवार एवं शुक्रवार), मितानिन व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की निगरानी में प्रदान करना चाहिए। वर्ष में दो बार, 6 महीने के अंतराल पर नेशनल डिवर्मिंग डे के अंतर्गत, कृमि संक्रमण की रोकथाम हेतु, अल्बेण्डाजोल की आधी गोली (1 से 2 वर्ष के बच्चों को) व पूरी गोली (2 से 10 वर्ष के बच्चों को) खिलाना चाहिए।

दस से उन्नीस वर्ष के किशोर बालक एवं बालिका हितग्राही समूह हेतु सभी शासकीय एवं शासकीय अनुदान प्राप्त शालाओं में शिक्षक छात्र-छात्राओं को प्रत्येक मंगलवार को आई.एफ.ए. की नीली गोली (100 मिलीग्राम एलेमेंटल आयरन एवं 500 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड) पानी के साथ और दस से उन्नीस वर्ष से की शाला त्यागी किशोरियों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा आई.एफ.ए. की गोली सप्ताह में एक दिन (शनिवार) पानी के साथ खिलाना चाहिए। नेशनल डिवर्मिग डे पर कृमि संक्रमण की रोकथाम हेतु एल्बेंडाजोल की गोली (400 एम.जी.) कृमिनाशक हेतु खिलाई जाए।

गर्भावस्था एवं धात्री हितग्राही समूह हेतु गर्भवती एवं धात्री माताओं को नियमित प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्चात् जांच कर आई.एफ.ए. की लाल गोली (100 मिलीग्राम एलिमेन्टल आयरन व 500 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड) समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों एवं वी.एच.एन.डी. में दी जाए। यह गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से गर्भावस्था के अंत तक व धात्री काल में 6 माह तक दी जाए। गर्भावस्था की प्रथम तिमाही के बाद एल्बेंडाजोल की एक गोली (400 मिलीग्राम) कृमिनाश हेतु खिलाया जाना चाहिए।

आयरन से आमतौर पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होते हैं। प्रभाव मामूली व सामान्यतः ठीक हो जाते हैं। गंभीर प्रभाव होने पर 108 एम्बुलेंस से हितग्राही को निकटस्थ स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया जाए व ए.एन.एम., मितानिन, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी को सूचित करना चाहिए। आयरन की गोली को खाने से शुरू में मितली, उल्टी, चक्कर आना, दस्त या कब्ज, काले रंग का मल आने जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यह दुष्प्रभाव धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं। कब्ज के लक्षणों को कम करने के लिए लाभार्थी को संतुलित आहार जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक हो जैसे कि फल, सब्जियां, दालें, अनाज खाने की सलाह दी जानी चाहिए। रोज अधिक पानी पीना दुष्प्रभावों को कम करेगा। 

कार्यक्रम की रणनीति अनुसार गर्भावस्था के 14वें सप्ताह से गर्भावस्था के अंत तक कैल्शियम की दो गोली प्रतिदिन (500 मिलीग्राम कैल्शियम कार्बोनेट, 250 आई.यू., विटामिन डी 3) दी जाए। गर्भावस्था के पश्चात् धात्री माताओं को 6 माह तक कैल्शियम की दो गोली प्रतिदिन (500 मिलीग्राम कैल्शियम कार्बोनेट, 250 आई.यू., विटामिन डी 3) दी जाए। यह प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्चात् देखभाल के बाद स्वास्थ्य केन्द्र अथवा वी.एच.एन.डी. में सेवा प्रदाता, ए.एन.एम. द्वारा दिया जाना चाहिए। 

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