धमतरी मार्च 2022/ जीवन मंे बाधाएं तो बहुत आती हैं, लेकिन सफलता उसी के गले का हार बनती है जो उन बाधाओं की चुनौतियों को स्वीकार कर अपने लक्ष्य को केन्द्रित करते हुए आगे बढ़ता है और कठिनाइयों में खुद की श्रेष्ठता को साबित करता है। इसे साबित कर दिखाया है विकासखंड नगरी की ग्राम पंचायत सिहावा की महिला मेट श्रीमती संध्या मानिकपुरी ने। पति के निधन के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी ढंग से निभाने वाली संध्या ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत महिला मेट बनकर इसे आर्थिक उपार्जन का आधार बनाया। दो बेटियों की मां श्रीमती मानिकपुरी ने अपने सपनों को कभी मरने नहीं दिया। उन्हें खुद पर यकीन था कि एक न एक दिन अपनी अलग पहचान बनाएगी।
55 वर्षीय श्रीमती संध्या मानिकपुरी जब अपने खेत का भूमि सुधार का काम करवा रही थीं और स्वयं मजदूर की हैसियत से काम कर रही थीं तब उनको मेट कार्य करने की जिज्ञासा शुरू हुई और महिला मेट के लिए उन्होंने आवेदन दिया, जिसमें वह चुनी गईं। इस बीच लोगों ने कई तरह की बातें करके उन्हें हतोत्साहित करने का प्रयास किया, लेकिन वह अपने लक्ष्य से डिगी नहीं। तकनीकी सहायक के माध्यम से चयनित महिला मेटों को मनरेगा के कार्यों तक उसकी तकनीकी एवं व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी दी गई। जमीनी स्तर पर भी श्रमिकों के तौर-तरीके, कार्य स्थल पर कार्य कराए जाने संबंधी बारीकियों को समझने का अवसर मिला।
एक सफल महिला मेट बनने के उपरांत श्रीमती संध्या अन्य महिलाओं की मदद से ओम महिला स्वसहायता समूह का गठन किया, जिसकी वह अध्यक्ष हैं। समूह की महिलाओं को आय स्रोतों में वृद्धि कैसे हो, आत्मनिर्भरता की ओर कैसे अग्रसर हों इन चीजों को वह भली-भांति समझती है। एफएलसीआरपी के नाते उन्होंने समूह की महिलाओं को पांच पोस्टरों के माध्यम से गरीबी के चक्र, भविष्य के लिए वित्तीय लक्ष्यों का निर्धारण, वित्तीय नियोजन अभ्यास, बुद्धिमानी से खर्च, जरूरतों, इच्छाओं और बुराइयों के लिए खर्चे जैसे विषयों पर पांच पोस्टरों के माध्यम से वित्तीय साक्षरता का प्रशिक्षण दिया। इससे समूह की महिलाएं और श्रमिक परिवार अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गए। श्रीमती संध्या मानिकपुरी मेट का कार्य करते हुए अब इन्हीं महिला श्रमिकों के लिए भी प्रेरणा का आधार बन चुकी हैं। वह महिला श्रमिकों को यह सलाह देती है कि कभी अपने सपनों को मरने मत दो। उन पर जी-तोड़ मेहनत की जरूरत है बस अपने लिए थोड़ा समय निकालकर अपने सपनों को जीवित रखें। समझदार, सुशिक्षित और प्रशिक्षित महिला मेट श्रीमती संध्या मानिकपुरी से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत कार्य कर रहे महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़ी हुई है। श्रमिकों की तरह मेहनत का पैसा मिलने से श्रीमती संध्या मानिकपुरी के जीवन में आर्थिक बदलाव आने से आत्मसम्मान की जीवन जी रही हैं।