छत्तीसगढ़

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने की प्राप्त प्रकरणों की गम्भीरता से सुनवाई

धमतरी मार्च 2022/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक (केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त) एवं सदस्य डॉ. अनिता रावटे के द्वारा आज जिला मुख्यालय में कुल 27 प्रकरणों की सुनवाई की गई, जिनमें सामाजिक बहिष्कार, मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना, उत्पीड़न, कार्यस्थल पर उत्पीड़न, सम्पत्ति विवाद, तलाक जैसे विभिन्न प्रकरण शामिल थे। इस दौरान उन्होंने आवेदक एवं अनावेदक (उभय पक्ष) के लोगों से बारी-बारी से सुनवाई करते हुए प्रकरणों के पटाक्षेप की दिशा में प्रयास किए, साथ ही आवश्यक समझाइश देते हुए कानून के विभिन्न पहलुआंे के बारे में बारीकियों की जानकारी भी दी। आयोग को प्राप्त 27 प्रकरणों में से 11 मामलों में दोनों पक्ष उपस्थित थे, जबकि 9 प्रकरणों में एक पक्ष के आवेदक हाजिर थे और शेष 07 मामलों मंे कोई भी पक्ष की सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं था। आज की कार्रवाई में 10 प्रकरण नस्तीबद्ध हुए।
कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में आज दोपहर से हुई सुनवाई में आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक और सदस्य डॉ.रावटे ने सभी प्रकरणों को गम्भीरता से लेते हुए तत्संबंध में आवश्यक कार्रवाई के निर्देश संबंधितों को दिए। सुनवाई के दौरान एक प्रकरण सामाजिक बहिष्कार का प्राप्त हुआ था, जिस पर आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने कहा कि सामाजिक बहिष्कार किया जाना कानूनी तौर पर अवैधानिक और दण्डात्मक है। उन्होंने उपस्थित लोगों को सूचित करते हुए बताया कि सामाजिक बहिष्कार के मामलों में भारतीय जन संहिता की धारा 384, नागरिक संरक्षण अधिनियम की 1956 धारा 07 के तहत् आपराधिक मामला दर्ज कराया जाए और इस संबंध में की गई कार्रवाई से आयोग को 15 दिन के अंदर अवगत कराए। आयोग की अध्यक्ष ने समझाइश देते हुए कहा कि समाजों को ऐसे प्रतिबंधात्मक कृत्यों से बचना चाहिए। उन्होंने सामाजिक बहिष्कार के प्रकरणों को संज्ञान में लेते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती निवेदिता पॉल और संरक्षण अधिकारी को तत्संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया। इसी प्रकार सुनवाई के दौरान सामाजिक बहिष्कार के तीन, कार्य स्थल पर मानसिक उत्पीड़न का दो, सम्पत्ति विवाद का एक, आर्थिक लेन-देन का एक, तलाक का एक, मानसिक प्रताड़ना सहित विभिन्न प्रकार के प्रकरणों की सुनवाई आज राज्य महिला आयोग के द्वारा की गई। साथ ही 10 प्रकरणों को नस्तीबद्ध कर निराकृत किया गया। इस अवसर पर पुलिस एवं अन्य संबद्ध विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और सुनवाई के लिए आए आवेदक, अनावेदक तथा उनके परिजन मौजूद रहे।
क्रमांक-107/1654/सिन्हा

आयोग की सुनवाई के प्रकरणों का विवरण- राज्य महिला आयोग को प्राप्त प्रकरणों पर की गई सुनवाई इस प्रकार है-
एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण अनुपस्थित, आवेदन मई 2021 में प्रस्तुत किया गया था। उसके पश्चात् दामाद और बेटी के बीच समझौता हो गया है, बेटी 2021 अगस्त से पति/अनावेदक के साथ रह रही है इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित आवेदिका को ऐसा लगता है कि अनावेदिका कलेक्टर की गाईडलाईन से तनख्वाह कम दे रही है अनावेदिका ने शासन की आदेश की कॉपी प्रस्तुत की गई, जिसकी कॉपी आवेदिका को दिया गया। इसके आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। अनावेदिका ने निवेदन किया कि आवेदिका इसी मुददे पर बार-बार शिकायत दर्ज न करे।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदिका ने उसके 25000 रूपये लिया था उसके एवज मे 06 लाख रू. ले चुके हैं और मूल स्टॉम्प जिससे इसके सब लेन-देन दिखा नहीं रही है उल्टा मेरे परिवार के खिलाफ झूठी शिकायत की है। अनावेदक के झूठे कागज दिखाया इसका स्टॉम्प 2015 का है जबकि स्टॉम्प का दूसरा पन्ना संलग्न नहीं हैं जिसमेें आवेदक की झूठी मालूम होती है चूंकि इस मामले के 01 एफ.आई.आर. थाना धमतरी में 02 जनवरी 2021 को दर्ज किया जा चुका है और आवेदिका को दिया गया है। अतः इन मामले में आयेाग का सुनवाई किया जाना संभव नहीं है। इस पूरे मामले को एएसपी निवेदिता पॉल को दिया जाता है कि वह इस मामले की जांच करें। इस दृष्टिकोण से भी करें क्या अनावेदिका के पास ब्याज देने का लाइसेंस है भी या नहीं और शिकायत पर उचित निर्णय लेकर आयोग को प्रस्तुत करें और प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। रिकॉर्ड एवं आर्डरशीट की छायाप्रति ए.एस.पी. को दिया गया है।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके बेटे ने यादव लड़की से शादी किया है इसलिए आवेदिकागण ने आवेदिका एवं बेटे का सामाजिक बहिष्कार किया है। आवेदिकागण इसमें इंकार करते है। आवेदिका के बेटा कहता है कि उसके पास विडियों के साथ उपस्थित है। विडियों में साक्ष्य उपलब्ध है। सामाजिक बहिष्कार के ऐवज में 28000 रू. मांगा था नहीं देने के कारण हुक्का पानी बंद कर दिये हैं। 09 नवम्बर 2021 से अनावेदकगण ने पूरे ऐसा दबाव डाल रहे है जीवन यापन में दिक्कत आ रही है। इसी प्रकार दूसरे प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि 09 नवम्बर 2021 में अनावेदकगण के पूरे गांव में मेरा और मेरे परिवार का हुक्का पानी बंद किया है छोटे बच्चे से मत मिलों और घर से अलग करो करके दबाव डाल रहे हैं। जीवन यापन में दिक्कत आ रही है।
इन दोनांे प्रकरण को ग्राम बकली मेे शनिवार 26 मार्च 2022 को ग्राम बकली में पंचायत को उभय पक्षकारों को और समाज के ग्राम के सदस्यों उपस्थिति में इस मामले की जांच कर अनावेदकगणों से घोषणा कराये कि आवेदिका एव उनके परिवार का किसी तरह का समाजिक बहिष्कार नहीं किया हो। यदि अनावेदकगण ऐसा नहीं करते है उनके खिलाफ थाना में भारतीय जन संहिता की धारा 384, नागरिक संरक्षण अधिनियम की 1956 धारा 07 के तहत् अपराधिक मामला दर्ज कराये और आयेाग को की गई कार्यवाही से 15 दिन के अंदर आयोग को सूचित करें इस पूरी कार्यवाही के लिए संरक्षण अधिकारी एवं डीएसपी को नियुक्ति किया गया। इस प्रकरण की सम्पूर्ण कार्यवाही आयोग के निर्देश पर करेंगे।

एक अन्य प्रकरण में एक बुजुर्ग महिला ने आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया था इनका मामला पूर्व में न्यायालय में लंबित होने के कारण आयेाग के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आता इसीलिए प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। सभी को ये जानकारी दी गई की एक वर्ष के प्रकरण जो न्यायालय में नहीं चल रहे हैं एवं थाने में पजीबंद्ध नहीं हैै केवल उन्ही प्रकरण आयेाग में सुने जा सकता है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदन में अनावेदक के विरूद्ध गाली-गलौज करने की शिकायत किया है और यह बताया है कि जिस समय आवेदक सरपंच थी उस समय अनावेदक उसे गालीगलौच करते थे। अनावेदक का कहना है कि नवम्बर 2020 में उसके ठेले में आगजनी हुई थी जिसका संदेह आवेदिका के देवर के बेटे पर है जिनके खिलाफ पुलिस ने प्रतिबंधात्मक कार्यवाही धारा 107, 116 की कार्यवाही की थी जिसकी पुष्टि अनावेदक के साथ आये। गांव के सरपंच और सदस्यों ने किया है। उनका यह भी कथन है कि आवेदिका अपने देवर के बेटे को बचाने के लिये झूठी शिकायत की है। दोनों पक्षों की बातों को सुनने के बाद यह प्रमाणित हुआ है कि ठेले की आगजनी की शिकायत आवेदिका ने प्रस्तुत किया है चूंकि इनके बीच प्रतिबंधात्मक कार्यवाही पुलिस द्वारा की गई है। इस प्रकरण को आगे जारी रखना उचित नहीं होने के कारण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि सामाजिक स्तर पर दोनों पक्ष बीच राजीनामा हुआ है। अलग अलग रह रहे है। वैधानिक तलाक नहीं हुआ है। हिमांशु साहू 07 वर्ष अनावेदक के पास रह रहा है दोनों पक्षों को समझाइश दी गई कि बच्चे से मिलने के लिए आपसी सहमति में एक दूसरे के परिवार में जाकर बच्चों के आवेदिका से मिलने पर अनावेदक सहयोग करेगा और धमतरी न्यायालय में आपसी तलाक के लिए केस दर्ज करायेगी इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावदेकगण के खिलाफ शिकायत कि गांव के रहने पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही कर हुक्कापानी बंद कर गांव से निकाल दिया है। अनावेदक पक्ष का कथन है कि आवेदिका जबरदस्ती बेवजह कब्जा कर मकान बना रही थी। उस पर रोक लगाया है। यदि वह किराये कि मकान लेकर रहेगी तो कोई परेशानी नहीं है। हुक्का-पानी बंद किया है। आवेदक को हिदायत दी जाती है कि किराया के मकान में रहे और अनावेदक मना करते है तो संरक्षण अधिकारी को सूचित करें ताकि अनावेदकगणों पर कार्यवाही की जा सके। इस निर्देश के प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक उपस्थित था। अनावेदक ने बताया कि आवेदक की शादी दूसरे लड़के से हो चुका है जिसकी पृष्टि दूरभाष पर आवेदक से चर्चा की गई। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। इस प्रकार आज विभिन्न प्रकरणों में क्रमशः प्रकरणवार सुनवाई महिला आयोग के द्वारा की गई।

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