कोण्डागांव। नशे की लत कई बार लोगों को मौत के मुंह में ले जाती है तो कुछ साइकोट्रॉपिक ड्रग्स लोगों की मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव करते हैं। जिससे व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन तक खो बैठता है। ये साइकोट्रॉपिक ड्रग्स जिन्हें आम भाषा में सस्ते नशों की संज्ञा दी जाती है। जितने कम दामों में लोगों को मिल जाते हैं उतने ही हानिकारक प्रभाव व्यक्ति के शरीर पर कर जाते हैं। ऐसे ही सस्ते नशों के कारण बचेली के अत्यन्त गरीब परिवार में रहने वाले लोकेश विश्वकर्मा द्वारा नशे के आदी होने के कारण मानसिक रोगों से ग्रसित हो गये थे। ऐसे में उनके परिवार में पिता की लकवे की बीमारी एवं माता के छोटी सी आय में लोकेश का ईलाज कराना संभव नहीं था साथ ही नशे की लत के कारण लोकेश अक्सर नशों के लिए पैसे की मांग करते हुए अपनी मां से मारपीट भी किया करता था। मानसिक स्थिति बिगडऩे के साथ उसने बचेली से पैदल चलते हुए कोण्डागांव पहुंच गया था। ऐसे में संवेदना कार्यक्रम के तहत् जिला प्रशासन के सहयोग से मानसिक रोगियों के उपचार हेतु कार्य करने वाली नगर की गैर सरकारी संस्था शांति फाउण्डेशन को लोगों द्वारा एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति के घोड़ागांव के समीप बेसुध होकर घुमने की जानकारी दी गई। जिसपर संस्था द्वारा रोड़ से लोकेश को उठाकर पुनर्वास केन्द्र लाया गया। जहां चिकित्सकीय जांच के उपरांत उन्हें उच्च स्तरीय ईलाज हेतु बिलासपुर के सेंदरी में स्थित मनोरोग चिकित्सालय में भेजा गया। जहां एक वर्ष बिताकर पूर्णरूप से ठीक होने पर उन्हें वापस पुनर्वास केन्द्र लाकर एक महीने तक शारीरिक गतिविधियों को कराने के साथ उनकी चिकित्सकीय जांच भी कराई गई। पूर्णत: ठीक होने की आश्वस्थता पर लोकेश ने कार्य करने की इच्छा जताई। जिसपर उन्हें सुरक्षागार्ड के रूप में पुनर्वास केन्द्र में ही नौकरी दे दी गई साथ ही लोकेश को आजीविकापरख गतिविधियों एवं कौशल विकास कार्यक्रम से भी जोड़ा गया। जहां उन्हें उद्यानिकी के साथ किचन गार्डन निर्माण, कबाड़ की प्लास्टिक बोटलों से गार्डन निर्माण एवं वृक्षारोपण का भी हुनर सिखाया गया। ठीक होने के बाद से ही लोकेश को अपने परिवारजनों के साथ किये गये व्यवहार की ग्लानि हो रही थी। जिसपर वे घर जाकर दी गई कौशल विकास के प्रशिक्षण को व्यवसाय के रूप में तबदिल कर परिवारजनों के लिए कुछ अच्छा करने की इच्छा पुनर्वास केन्द्र संचालकों को दी गई। जिसपर संचालकों द्वारा लोकेश की माता से सम्पर्क कर लोकेश के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें लोकेश से बात कराई। जिसपर लोकेश एवं उनकी माता एवं परिजन सभी की आंखों में आंसु आ गये थे। जहां बचेली से उनकी माता द्वारा पुनर्वास केन्द्र पहुंच प्रक्रिया पूरी कर उन्हें उनकी माता के साथ घर भेज दिया गया। लोकेश गार्ड के रूप में कार्य करते हुए हर्ष के साथ कमाए हुए 6000 रूपयों के साथ घर पहुंचे हैं। इस पुनर्वास केन्द्र के संबंध में लोकेश ने कहा कि संवेदना कार्यक्रम एक अनुठी पहली है। मेरे जैसे कई ऐसे लोग जिनकी जिंदगीयां मानसिक विकारों के कारण सड़कों पर बिखर चुकी थीं उन्हें जिला प्रशासन के सहयोग से संचालित पुनर्वास केन्द्र एवं शांति फाउण्डेशन द्वारा नई जिंदगी प्रदान की जा रही है। ऐसे में जिले में कोई भी अनाथ नहीं रहेगा। इस पहल के लिए उन्होंने जिला प्रशासन का धन्यवाद दिया। इस संबंध में पुनर्वास केन्द्र के संचालक यतिन्द्र सलाम ने कहा कि लोगों को नशे की लत से हमेशा दूर रहना चाहिए। ये नशे लोगों को शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी हानि पहुंचाते हैं। लत के कारण लोग अपना मानसिक संतुलन खोकर न चाहते हुए भी अपने प्रियजनों को नुकसान पहुंचाते हैं। मानसिक रोगियों के सहयोग हेतु कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन एवं शांति फाउण्डेशन के संयुक्त प्रयास से पुनर्वास केन्द्र द्वारा न सिर्फ मानसिक रोगियों का उपचार हो रहा है बल्कि उनके सामाजीकरण हेतु उन्हें आजीविका तथा कौशल विकास का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लोगों से अपील है कि ऐसे किसी मानसिक रोगी की जानकारी प्राप्त होने पर +91-9575555910 पर सूचना दे सकते हैं।
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