वर्ष 2007 में हुई थी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की खरीदी
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की खरीदी में भ्रष्टाचार को लेकर पहले भी उठते रहे हैं सवाल
तत्कालीन मुख्यमंत्री की भूमिका को लेकर जांच की हो रही मांग
रायपुर, 23 मई 2022/
हाल ही में हादसे का शिकार हुए छत्तीसगढ़ सरकार के सरकारी हेलीकॉप्टर की खरीदी पर सवाल उठने लगे हैं। इन सवालों के बीच कहा जा रहा है कि अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीदी को लेकर जांच करा सकती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को पत्रकारों से चर्चा के बीच इस संदर्भ में संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री बघेल ने अगस्ता हेलीकॉप्टर की खरीदी को लेकर उठ रही जांच की मांग को लेकर हुए सवाल पर कहा कि, इस पर विचार किया जा सकता है। गौरतलब है कि बीते 12 मई को स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर नाइट फ्लाइंग की प्रेक्टिस के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार का अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था। इस हादसे में दो पायलटों की मौत हो गई।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 15 साल पहले यानी वर्ष 2007 में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की खरीदी की गई थी। तब छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता पर काबिज थी। हेलीकॉप्टर खरीदी के बाद से ही इसकी खरीदी प्रक्रिया को लेकर सवाल उठते रहे हैं। अब उक्त हेलीकॉप्टर के क्रैश होने के बीच फिर से अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर के मॉडल और गुणवत्ता समेत अनेक बिंदुओं को लेकर सवालों के साथ खरीदी में भ्रष्टाचार की जांच की मांग हो रही है। इधर केंद्र सरकार की एविएशन एजेंसी नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) इस हादसे की जांच कर रहा है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनके पुत्र पर लगे आरोप, लेकिन जांच नहीं :
तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अक्टूबर 2007 में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीदा था। इसके लिए 65 लाख 70 हजार अमेरिकी डॉलर की बड़ी कीमत अदा की गई। जबकि यह भी बात आई कि सरकार ने कंपनी के साथ 61 लाख डॉलर में बातचीत तय कर ली थी, लेकिन अचानक ही बढ़ी हुई कीमत पर खरीदी कर ली गई। इस सौदे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने सवाल उठाए। यह भी आरोप है कि खरीदी प्रक्रिया में एक स्टैंडर्ड मॉडल के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला गया, जो सही नहीं था। यह भी सवाल उठा कि ऐसा ही हेलीकॉप्टर झारखंड सरकार ने 55 लाख 91 हजार अमेरिकी डॉलर में खरीदा था। दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का आरोप था कि खरीदी से मिली दलाली और रिश्वत की रकम पनामा में अभिषेक सिंह के नाम से संचालित एक फर्जी कंपनी के खाते में जमा कराया गया था। तमाम हंगामे के बाद भी राज्य अथवा केंद्र सरकार ने इसकी जांच के आदेश नहीं दिए थे।