आज भी समुदाय के बीच माहवारी विषय और उसकी स्वच्छता पर चुप्पी कायम है। माहवारी स्वच्छता की दिशा में खुल कर बात करने की आवश्यकता है । इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। सामान्य या संक्रमण काल में भी किशोरियों एवं महिलाओं को माहवारी स्वच्छता पर जागरूक करना जरूरी है।
इस सम्बन्ध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल का कहना है: “आज मासिक धर्म पर चुप्पी टूट रही है । नई पीढ़ी अपने मासिक धर्म को स्वस्थ तरीके से प्रबंधित कर रही है । इस पर अभी और खुलकर बात करने की जरूरत है । माहवारी के दिन नारी को प्रकृति का खास तोहफा है । झिझकना नहीं है इस पर खुलकर बात भी करना है । मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बहुत जरुरी होता है। मां, बहनें और बेटियां कैसे स्वच्छ और स्वस्थ रहें विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस इसी का संदेश देता है। अब menstrual cup भी बाजार में आ चुके है ये और ज्यादा सुविधाजनक है समय समय पर कप खाली करके धो कर फिर उपयोग कर सकते है । इसमें सुखाने, धोने का झंझट नहीं, छुपा कर रखने का टेंशन नहीं, पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है । मासिक चक्र के दौरान अगर स्वच्छता पर ध्यान न दिया जाए तो बच्चेदानी में संक्रमण पहुँच सकता है। इससे गर्भधारण तक बाधित हो सकता है। इन खास दिनों में होने वाले बदलावों को समझने और उसे सकारात्मक रूप से लेने के लिए किशोरियों को सही सलाह की बहुत ज़रूरत होती है। 11 से 12 साल की किशोरियों में मासिक चक्र की शुरुआत होने लगती है। किशोरियों को सेनेटरी पैड और उसके महत्व के बारे में सटीक जानकारी देना भी जरूरी है । रूढ़िवादी अज्ञानता से बचना चाहिए । किशोरियों को इस संबंध में उचित सलाह देकर जागरूक किया जाना चाहिये । इसके लिए किशोरियों को मितानिन, एएनएम एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता निरंतर जागरूक करती हैं । किशोरियों को परामर्श करके माहवारी के दौरान असुरक्षित साधनों के इस्तेमाल की जगह सुरक्षित साधन जैसे सेनेटरी पैड के शत-प्रतिशत इस्तेमाल को सुनिश्चित करना चाहिये ।“
यह करें-
मासिक धर्म स्वच्छता पर संकोच ना करें और इस पर खुल कर बात कराना चाहिये, सेनेटरी पैड आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा हो तो साफ़ सूती कपड़े के बने पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं, माहवारी के दौरान स्वच्छता बनाए रखने की जानकारी , निश्चित अंतराल पर पैड को बदलें, छह घंटे के अंतराल पर सैनिटरी नैपकिन बदलना चाहिए, समय-समय पर अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई करती रहें, माताएं किशोरियों को इसके बारे में खुलकर जानकारी दें हिझक को बीच में ना आने दें, अगर यात्रा पर हैं और शौचालय जाना हो तो सफाई वाली जगह पर जाएं, अपने बिस्तर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए। समय-समय पर बेडशीट बदलती रहें, पीरियड्स के समय कई बार शरीर में दर्द होता है। इसलिए गर्म पानी से नहाएं , खान-पान का रखें ख्याल रखें पाचक आहार का सेवन करें।
कब हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत–
मासिक धर्म स्वच्छता दिवस दुनिया भर की महिलाओं में मासिक धर्म की वजह से होने वाली परेशानियों के बारे में जागरूक करने लिए हर साल 28 मई को मनाया जाता है।इसकी शुरुआत साल 2013 में वॉश (जल स्वच्छता एवं स्वास्थ्य रक्षा) द्वारा की गयी थी । इस दिवस को पहली बार 28 मई 2014 में मनाया गया था। इसे 28 तारीख को मनाने की खास वजह यह है कि महिलाओं को पीरियड्स 28 दिनों के अंतर से आते हैं।
क्या कहते है एनएफएचएस -5 के आकड़े-
मासिक धर्म सुरक्षा के लिए एक स्वच्छ विधि का उपयोग करना महिलाओं के स्वास्थ्य और व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए महत्वपूर्ण है। एनएफएचएस -5 के अनुसार 15-24 आयु वर्ग की 69 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म प्रबंधन के लिए एक स्वच्छ तरीके जिसमें स्थानीय स्तर पर तैयार नैपकिन, सैनेटरी नैपकिन, और मेंस्ट्रुअल कप शामिल हैं का उपयोग करती हैं, वहीं एनएफएचएस-4 में केवल 47 प्रतिशत महिलाएं ही स्वच्छ तरीके का उपयोग करती थीं । एनएफएचएस के आंकड़ों से स्पष्ट है कि महिलाओं में माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरूकता आ रही है। वहीं अगर ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के आंकड़ों को अलग-अलग कर के देखें तो शहरी क्षेत्र की महिलाएं इस मामले में आगे हैं ग्रामीण क्षेत्र में जहां 65 प्रतिशत महिलाएं स्वच्छ तरीकों का उपयोग करती हैं वहीं शहरी क्षेत्र में 83 प्रतिशत महिलायें स्वच्छ विधि का उपयोग करती हैं।