छत्तीसगढ़

आयोग द्वारा तीन प्रकरण को डीएसपी एवं दो प्रकरण जिला संरक्षण अधिकारी को दिया गया

रायगढ़, जून 2022/ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.किरणमयी नायक ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोग के समक्ष महिला उत्पीडन से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। सुनवाई में कुल 35 प्रकरण रखे गये थे। जिसमें 25 प्रकरणों का निराकरण करते हुए नस्तीबद्ध किया गया तथा 03 प्रकरणो में त्वरित निराकरण के लिए सुनवाई रायपुर में नियत की गयी। वहीं शेष प्रकरणों पर आगामी सुनवाई की जाएगी।
डॉ.नायक ने कहा कि महिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत प्रकरणों का जल्द से जल्द निराकरण हो तथा
महिलाओं को त्वरित न्याय मिले इस दिशा में आयोग निंरतर कार्यरत है। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में जाकर जनसुनवाई की जा रही है। महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अन्याय व उत्पीडऩ का असर पूरे परिवार खासकर बच्चों पर पड़ता है। इसलिए कोशिश होनी चाहिए की आपसी सलाह-मशविरे से मामलों में सुलह हो जाये। साथ ही महिलाओं के अधिकार उन्हें प्रताडऩा से बचाने के लिये है इसका दुरूपयोग पुरुषों को प्रताडि़त करने के लिये नही होना चाहिए।
आयोग के समक्ष प्रस्तुत एक पारिवारिक विवाद का मामला सामने आया जिसमें पति-पत्नी पिछले कुछ सालों से अलग रह रहे है। उनका एक बच्चा भी है जो मां के साथ रहता है। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी। जिस पर पति द्वारा पत्नी से आगे संबंध नहीं रखने की बात कही गयी। महिला आयोग अध्यक्ष डॉ.नायक ने दोनों की काऊंसिलिंग भी करवायी जिसके पश्चात भी पति संबंध विच्छेद की बात पर कायम रहा। इस पर महिला आयोग के अध्यक्ष डॉ.नायक ने उसे अपने परिवार के भरण-पोषण व बच्चे की पढ़ाई-लिखाई के लिए 8 हजार रुपये पत्नी को देने के निर्देश दिए। साथ ही पिता को बच्चे से नियमित रूप से मिलने के निर्देश दिए जिससे बच्चा पिता के स्नेह से वंचित न रहे।
आयोग के समक्ष एक आवेदिका ने ससुराल पक्ष पर 2 करोड़ रुपये दहेज मांगने की शिकायत दर्ज करायी थी। जिसकी सुनवाई में आवेदिका तथा अनावेदक दोनों की बातें सुनी गयी। जिस पर आवेदिका ने बताया कि उसे ससुराल पक्ष द्वारा प्रताडि़त किया जाता है तथा धनराशि की मांग की जाती है। वहीं अनावेदक का कहना था कि उसकी पत्नी सास-ससुर के साथ नहीं रहना चाहती और पति के साथ अकेले रहने की मांग करती है। अनावेदिका ने बताया कि उसकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं किया गया है। इस पर संबंधित थाने के प्रभारी को भी मौके पर तलब कर विस्तृत जानकारी ली गयी। जिसमें यह बात निकलकर सामने आयी कि दहेज प्रताडऩा के मामलों में एफआईआर दर्ज करने के पूर्व परिवार परामर्श केन्द्र में तीन बार पति-पत्नी की काऊंंसिलिंग की जाती है, इस पर भी सुलह नहीं होने पर प्रकरण दर्ज किया जाता है। पुलिस की ओर से जानकारी दी गयी कि आवेदिका के द्वारा अब तक एक भी काऊंसिलिंग नहीं ली गयी है। महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.नायक ने दोनों पक्षों की काऊंसिलिंग करवायी, जिसके बाद पति अपनी पत्नी को रखने के लिए तैयार है किन्तु महिला केस दर्ज कराने पर ही अड़ी रही। इस पर महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.नायक ने दोनों पक्षों को विवाह के लेनदेन के संबंध में अपने विवरण के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए। साथ ही त्वरित निराकरण के लिए मामले की अगली सुनवाई रायपुर में नियत की गयी है।
पारिवारिक विवाद से जुड़े एक दूसरे मामले में आवेदिका ने पति द्वारा मारपीट की शिकायत की थी। जिसकी सुनवाई में आवेदिका ने बताया कि इस मामले में सुलह-समझौता हो चुका है तथा वह वर्तमान में अपने पति के साथ निवासरत है। किन्तु अभी भी बीच-बीच में पति द्वारा विवाद किया जाता है। इस पर महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.नायक ने दोनों पक्षों को समझाईश दी कि खुशहाल पारिवारिक जीवन के लिए जरूरी है कि अनावश्यक विवादों से बचा जाए। उन्होंने अनावेदक को अपनी पत्नी का ध्यान रखने तथा किसी भी प्रकार की विवाद अथवा मारपीट से बचने की समझाईश दी। साथ ही पत्नी की मांग पर इकरारनामा तैयार कर देने के निर्देश दिए ताकि अगर पुन: घटना की पुनरावृत्ति हो तो पति के विरूद्ध कार्यवाही की जा सके।
एक मामले में आवेदिका ने अपने सास के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है। जिसमें उन्होंने बताया कि उनके पति की आकस्मिक मृत्यु पश्चात उसे अपने हक से वंचित कर रही है। साथ ही उसका सारा सामान को भी अपने कब्जे में कर लिया है। दोनों पक्षों के मध्य तहसील आफिस में दर्ज जमीन के नाम का प्रकरण चल रहा है। महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.नायक ने सुनवाई में उपस्थित बाल संरक्षण अधिकारी चैताली रॉय को दोनों पक्षों से समय नियत करते हुए उनके गांव जाकर आवेदिका का सामान दिलाकर आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। साथ ही उपस्थित डीएसपी को भी तीन प्रकरण को जांच हेतु दिया गया है।

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