छत्तीसगढ़

17 प्रतिशत नमक घोल उपचार

खेत में धान की बुआई के कुछ दिन पश्चात अंकुरण दिखता है लेकिन बाद में पौध संख्या कम हो जाता है यह इसलिये होता है। क्योंकि जब हम बीज की खेत में बुआई करते है, उस समय मटबदरा एवं कीेड़े से प्रभावित बीज खेत में पहुंचते है एवं अंकुरित भी हो जाते है तब हमें लगता है कि पौध संख्या अच्छा है लेकिन मटबदरा एवं कीेड़े से प्रभावित बीज से उगे पौधा कुछ दिन बाद मर जाते है। क्योंकि मटबदरा एवं कीड़े से प्रभावित बीज में पौध को जड़ के विकसित होने तक भोजन नहीं मिल पाता है। इसलिये हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ्य बीज का बोआई करना बहुत जरूरी है। हष्ट पुष्ट बीज प्राप्त करने के लिये 17 प्रतिशत नमक घोल धान बीज का उपचार करें इसके लिये 10 लीटर पानी में 1 किलो 700 ग्राम नमक को घोले या ग्राम स्तर पर एक आलू या एक अण्डा की व्यवस्था करें पहले टब या बाल्टी में पानी ले फिर उसमें आलू या अण्डा डाले आलू एवं अण्डा बर्तन के तल में बैठ जायेगी लेकिन जैसे-जैसे नमक डालकर घोलते जायेंगे। उपर आते जायेगा और 17 प्रतिशत घोल तैयार हो जायेगा तब अण्डा या आलू  पानी के उपरी सतह पर तैरने लगेगा। इसके बाद अण्डा या आलू को पानी से निकाल कर बीज को इस घोल में डाले और हाथ से हिलाये एवं 30 सेकण्ड के लिये छोड़ दें। ऐसा करने से धान का बदरा, मटबदरा, कटकरहा धान, खरपतवार के बीज तथा कीड़े से प्रभावित बीज पानीके उपर तैरने लगेंगे। उसे अलग बर्तन में रखे और जो बीज बर्तन के नीचे तल में बैठ गया है उसे अलग कर साफ पानी से धोये तत्पश्चात् तुंरत बुआई करना है तो खेत में बुआई करें या फिर धूप में सूखाकर सुरक्षित भंडारण करें। ऐसा करने से हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ्य बीज प्राप्त होगा। कटकरहा, बदरा, मटबदरा, कीट से प्रभावित बीज एवं खरपतवार के बीज आसानी से अलग हो जाता है।

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