अम्बिकापुर , जुलाई 2022/ जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री आर. बी. घोरे के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री अमित जिन्दल ने गुरुवार को शहर के चाईल्ड लाईन, परिवार परामर्श केन्द्र, बालिका गृह, स्वधार गृह, सखी वन स्टाप सेन्टर में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में कई विधिक जानकारी दी।
श्री जिंदल ने जानकारी देते हुए बताया कि घरेलू हिंसा में प्रत्यर्थी के कार्य से पीडिता के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की या चाहे उसकी मानसिक या शारीरिक भलाई की अपहानि या उसे कोई क्षति या ऐसा संकट होता है या उसके साथ अपमान, उपहास, तिरस्कार गाली और विशेष रूप से संतान या नर बालक के न होने के संबंध में अपमान या उपहास किया जाता है या उसे किसी चीज से जिसकी वह विधि पूर्ण रूप से हकदार है उससे वंचित किया जाता है तो उक्त कृत्य घरेलू हिंसा की परिधि में आएगा । श्री जिन्दल ने यह भी बताया कि जो कोई टोनही के रूप में पहचानी गयी किसी महिला को शारीरिक या मानसिक रूप से क्षति पहुचायेगा तो वह जुर्माने सहित 5 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डनीय होगा तथा जो कोई यह दावा करता है कि वह टोनही के रूप में पहचानी गयी किसी महिला का झाड फूंक आदि से ईलाज कर सकता है तो वह जुर्माने सहित 5 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डनीय होगा। श्री जिन्दल ने यह भी बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-ए (जी) के तहत प्रत्येक नागरिक का यह मूल कर्तव्य है कि वह प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें तथा यद्यपि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 211 के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का मूल अधिकार है। परंतु यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-ए (क) के तहत प्रत्येक माता-पिता तथा संरक्षक का यह मूल कर्तव्य है कि वह 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निः शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करे।