छत्तीसगढ़

धर्म स्वातंत्रय अधीनियम पर हुआ विधिक सेवा शिविर का आयोजन

अम्बिकापुर, जुलाई 2022/ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री राकेश बिहारी घोरे के मार्गदर्शन एवं सचिव श्री अमित जिन्दल के निर्देश पर पी.एल.वी. कुमारी रेणु दास ने 28 जुलाई 2022 को मठपारा, अंबिकापुर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बताया गया कि प्रत्येक व्यक्ति को धर्म के अबाध रूप से मानने तथा आचरण करने का अधिकार दिया गया है इसी तारतम्य में छ०ग० धर्म-स्वातंत्रय अधिनियम 1968 पारित किया गया है जिसकी धारा 3 के अनुसार कोई भी व्यक्ति बल प्रयोग द्वारा या प्रलोभन द्वारा या किसी कपटपूर्ण साधन द्वारा किसी भी व्यक्ति को एक धर्म से किसी अन्य धर्म में प्रत्यक्षतः या अन्यथा संपरिवर्तित नहीं करेगा या प्रत्यक्षतः या अन्यथा संपरिवर्तित करने का प्रयत्न नहीं करेगा और न ही कोई व्यक्ति किसी ऐसे संपरिवर्तन का दुष्प्रेरण करेगा। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो अधिनियम की धारा 04 के अनुसार किसी सिविल दायित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना कारावास से, जो एक वर्ष का हो सकेगा, या जुर्माने से, जो पाँच हजार रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से दण्डनीय होगा परंतु उस दशा में जबकि अपराध किसी अप्राप्तवय किसी स्त्री या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के संबंन्ध में किया गया हो तो दण्ड दो वर्ष का कारावास और दस हजार रूपये तक का जुर्माना होगा तथा कहा कि धारा 05 के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति का एक धर्म से किसी अन्य धर्म में संपरिवर्तन ऐसे धर्म-संपरिवर्तन के लिये आवश्यक संस्कार धार्मिक पुरोहित के रूप में स्वयं करके या ऐसे संस्कार में प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः भाग लेकर, करेगा, वह उस संस्कार के पश्चात ऐसी कालावधि के भीतर, जैसी कि विहित की जाय उस जिले के, जिसमें वह संस्कार हुआ हो, जिला मजिस्ट्रेट को ऐसे प्ररूप में, जैसा कि विहित किया जाय, ऐसे धर्म संपरिवर्तन के तथ्य की प्रज्ञापना भेजेगा तथा यदि कोई व्यक्ति उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट उपबन्धों का अनुपालन करने में पर्याप्त कारण के बिना असफल रहेगा, तो वह कारावास से, जो एक वर्ष का हो सकेगा, या जुर्माने से, जो एक हजार रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से दण्डनीय होगा।

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