कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र फिंगेश्वर बीएससी कृषि चतुर्थ वर्ष में है अध्ययनरत
फिंगेश्वर/कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र फिंगेश्वर जिला गरियाबंद द्वारा बीएससी कृषि चतुर्थ वर्ष के छात्र-छात्राओं ने ग्राम पंचायत बिजली में ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) कार्यक्रम किया गया। छात्र-छात्राओं ने ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) अंतर्गत किए जाने वाले गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
गौरतलब है कि चार साल के एग्रीकल्चरल साइंस के कोर्स में एग्रीकल्चर के विभिन्न विषयों का अध्ययन वैज्ञानिक पद्धति से क्रमबद्ध रूप से करते हैं, जिसमे सेमेस्टर प्रणाली (छः माह का एक सेमेस्टर) की भूमिका होती है। उस दौरान समस्त एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी के सभी विषयों पर गहन अध्ययन, प्रायोगिक और सैद्धांतिक रूप से होता है। पिछले छह दशक से इस कार्य में युवाओं ने इसके गहन अध्ययन, शोध व प्रयोग में बतौर कृषि कर्मचारी के रूप में हाथ बटाएं हैं, जिससे कृषि में भी आधुनिकता आई है, नवीन तकनीकों का प्रसार हुआ है।
इन सब के बावजूद भी आज कृषि के क्षेत्र में युवा शक्ति की कमी है यानि युवाओं के लिये यहां कॅरियर की अथाह सम्भावना है। खास तौर से अध्ययन और स्वरोजगार के क्षेत्र में विशेष सम्भावना है। कक्षा 12 के बाद कृषि में 4 साल का कोर्स है, जिसको बीएससी-एग्रीकल्चर/बीएससीदृएग्रीकल्चर (ऑनर्स) का कोर्स कहते हैं, साथ ही इस कोर्स को प्रोफेशनल कोर्स की भी मान्यता है। इसके लिये छात्र कक्षा 11 या 12 में एग्रीकल्चर या बायोलॉजी से उतीर्ण होना आवश्यक है। अध्ययन का अंतिम वर्ष प्रायोगिक रूप से महत्वपूर्ण वर्ष है। इसमें कृषि, किसान, समाज, गाँव और खेत खलिहान से जुड़ी सामाजिक और व्यवहारिक जानकारियों से विद्यार्थियों को रूबरू होना पड़ता है।