छत्तीसगढ़

कृषकों के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र ने दिया समसमायिक सलाह

सोयाबीन, अरहर एवं उड़द जैसे फसलों में जलभराव की स्थिति में उचित जल निकास का प्रबंध करें – डॉ. त्रिपाठी

कवर्धा, अगस्त 2022। कबीरधाम जिले में पिछले चार-पांच दिनों से लगातार वर्षा हो रही है। जिसके कारण दलहनी एवं तिलहनी फसलों जैसे सोयाबीन, अरहर, उड़द में जल भराव की स्थिति में कीट व्याधि की समस्याएं आ सकती है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बी.पी. त्रिपाठी ने किसानों से कहा है कि सोयाबीन, अरहर एवं उड़द जैसे फसलों में जलभराव की स्थिति में उचित जल निकास का प्रबंध करें एवं वर्षा उपरांत यदि सोयाबीन की फसल में एन्थ्रेकनोज, एरियल ब्लाईट एवं चारकोल रॉट बीमारी यदि हो तो टेबूकोनाझोल 625 मि.ली./हे. अथवा टेबूकोनाझोल $ सल्फर 1 किलोग्राम/हे अथवा हेक्झाकोनाझोल 500 मि.ली./हे अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबिन 500 ग्रा./हे. को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। पीला मोजाइक बीमारी को फैलाने वाली सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिए खेत में यलो स्टीकी ट्रैप का प्रयोग करें जिससे मक्खी के वयस्क नष्ट किया जा सकता है साथ ही पीला मोजाइक रोग से ग्रसित पौधों, अवशेषों को खेत से निकालकर नष्ट कर दें।
उन्होंने किसानों को बताया कि रोग की तीव्रता अधिक होने पर थायोमिथाक्सम 25 डब्ल्यूजी (100 ग्रा./500 लीटर पानी) का छिड़काव करें। कृषकों को सलाह है कि सोयाबीन की फसल में प्रकाश जाल, फिरोमोन ट्रेप लगाएं जिससे प्रकोप करने वाले कीटों की स्थिति की जानकारी के साथ-साथ उनका प्रबंधन करने में सहायता मिलें। अरहर में पत्ती छेदक कीट के लिए प्रोफेनाफॉस एवं सायपरमेथिन 2-3 मिली./1 लीटर पानी में छिड़काव करें। उड़द एवं मूंग की फसल में पीला मोजाइक रोग से ग्रसित पौधे को निकाल दें एवं रोग की तीव्रता होने पर थायोमिथाक्सम 25 डब्ल्यूजी (100 ग्रा./500 लीटर पानी) का छिड़काव करें। धान के खेतों में वर्षा जल का भराव अधिक हो गया है तो जल निकास की व्यवस्था करें एवं वर्षा उपरांत पोटाश 10 किलोग्राम/एकड़ छिड़काव करें। धान में आने वाली अन्य बिमारियां जैसे धान का झुलसा, धान का भुरा धब्बा की पहचान कर उचित फंफूदीनाशक का उपयोग करें। अत्यधिक वर्षा से सब्जियों में गलन बिमारी आ सकती है। अतः कार्बेन्डाजिम एवं मैन्कोजेब मिश्रित फंफूदीनाशक 2-3 ग्राम/लीटर पानी में छिड़काव करें। किसी भी फसल में कीट व्याधि के प्रकोप की विस्तृत जानकारी हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा के वैज्ञानिकों से संपर्क कर सकते है।

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