- राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की बैठक में अधिकारियों को दिये गये निर्देश
- क्रीमी लेयर के निर्धारण में रखें सावधानी, रितु नामदेव विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन प्रकरण में अदालत द्वारा दिये गये आदेश को दृष्टिगत रखते हुए विशेष रूप से रखें सावधानी
- हितग्राहीमूलक योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ सुनिश्चित कराएं
दुर्ग, 16 सितंबर 2022/ जाति प्रमाणपत्र जारी करने का कार्य शीघ्रता से हो, इसमें किसी तरह से त्रुटि न रह जाए और पात्र हितग्राही इसका लाभ लेने से छूटना नहीं चाहिए, यह सुनिश्चित करें। अधिकारियों को यह निर्देश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री थानेश्वर साहू ने दिये। उन्होंने कहा कि स्कूलों में बिल्कुल आरंभ से ही यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों का जाति प्रमाणपत्र बन जाएं। नीट और जेईई एन्ट्रेंस देने के बाद भी रिजल्ट लेने के बाद कुछ विद्यार्थी जाति प्रमाणपत्र बनवाने में लगे रहते हैं जिससे कम समय होने पर उन्हें दिक्कत होती है। प्रारंभिक स्तर पर ही शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाए तो बाद में बच्चों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष श्री आरएन वर्मा, सदस्य श्री महेश चंद्रवंशी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शालिनी रिवेंद्र यादव, दुर्ग निगम के सभापति श्री राजेश यादव सहित अन्य अतिथि उपस्थित थे। साथ ही आयोग के सचिव श्री वी. साहू, अपर कलेक्टर श्रीमती पद्मिनी भोई, जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन, सहायक आयुक्त श्रीमती प्रियंवदा रामटेके, आयोग की अधिकारी श्रीमती अनिता डेकाटे भी मौजूद रहीं।
क्रीमी लेयर की परिभाषा के मुताबिक बनाएं प्रमाण पत्र- बैठक में उपाध्यक्ष श्री वर्मा ने कहा कि कभी-कभी क्रीमी लेयर तय करने में अधिकारियों की ओर से त्रुटि होती है। इस मामले में रितु नामदेव विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन मामले में कोर्ट के निर्णय को दृष्टिगत रखें। इसमें स्पष्ट रूप से मार्गदर्शन है कि आफिसर के ग्रेड के मुताबिक और इस ग्रेड पर आने वाली आयु सीमा के आधार पर ही क्रीमी लेयर तय होगा।
बैंकर्स के साथ बेहतर तालमेल हो ताकि शतप्रतिशत मामलों में मिल सके योजनाओं का लाभ- आयोग के पदाधिकारियों ने कहा कि प्रशासन द्वारा राज्य शासन की हितग्राहीमूलक योजनाओं का आवेदन बैंकों के पास भेजा जाता है। आप सभी स्क्रूटिनी के बाद पूरे परीक्षण के पश्चात इसे बैंक में भेजते हैं। इसके बावजूद शतप्रतिशत मामलों में हितग्राहियों को ऋण नहीं मिल पाता। इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है। जिस प्रकरण के लिए ऋण मांगा गया है उसके सफल होने की फीजिबिलिटी कैसी है। उद्योग केंद्र और ग्रामोद्योग के अधिकारी यदि पिछले अनुभवों के आधार पर व्यवसाय का चयन कर हितग्राहियों को इसके लिए तैयार करें तो बैंक में प्रकरण स्वीकृत होने की संभावना अधिक होगी। इसके साथ ही डीएलसीसी की बैठकों में भी नियमित रूप से इस पर समीक्षा होती रहे।
ली जानकारी, किस योजना में ओबीसी वर्ग के कितने लोगों को मिला लाभ- आयोग ने सभी विभागीय अधिकारियों से उनके हितग्राहीमूलक योजनाओं में ओबीसी वर्ग को मिलने वाले लाभ की जानकारी ली। श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा दो वर्षों में 14 हजार से अधिक ओबीसी वर्ग के हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। लगभग 3 हजार हितग्राहियों को सामाजिक सुरक्षा मंडल की योजनाओं का लाभ दिया गया है।