छत्तीसगढ़

*रासायनिक कीटनाशक के जगह गोमूत्र से बने जीवामृत और ब्रह्मास्त्र है ज्यादा फायदेमंद*

*गोमूत्र से बने उत्पाद के विक्रय से स्व सहायता समूह की महिलाओं ने कमाया 82 हजार 500 रुपए*
*जांजगीर-चांपा जिला गोमूत्र खरीदी में पूरे प्रदेश में अव्वल*
*4 रुपए प्रति लीटर की दर से की जा रही खरीदी, जिले में अब तक 5 हजार तिरानवे लीटर हुई गोमूत्र की खरीदी*
          जांजगीर-चाम्पा, अक्टूबर 2022/ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने, कृषि की लागत को कम करने और रासायनिक कीटनाशकों का खेती किसानी में कम से कम उपयोग करने के लिए लगातार सार्थक पहल किया जा रहा है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर 28 जुलाई, हरेली पर्व से पूरे प्रदेश में गोमूत्र की खरीदी 4 रुपए प्रति लीटर की दर से की जा रही है। हरेली पर्व से शुरू हुए गोमूत्र खरीदी कार्य में जांजगीर-चांपा जिला अब तक 5 हजार तिरानवे लीटर की खरीदी के साथ पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। इसके साथ ही कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा के कुशल मार्गदर्शन में जांजगीर-चांपा जिले में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोमूत्र से जीवामृत और ब्रह्मास्त्र कीटनाशक बनाकर अपने आय के स्रोत में वृध्दि कर रही है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी और बेहतर हो रही है। जिले में स्व सहायता समुह की महिलाओं ने गोमूत्र से बने उत्पाद बेचकर लगभग 82 हजार रुपए का लाभ प्राप्त कर चुकी हैं। रासायनिक कीटनाशक के जगह गोमूत्र से बनने वाले उत्पाद जीवामृत और ब्रह्मास्त्र खेती किसानी के लिए ज्यादा फायदेमंद है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक है।       गोमूत्र खरीदी और गोमूत्र से कीटनाशक निर्माण किए जाने से स्व सहायता समूह की महिलाओं को भी आय का एक नया जरिया प्राप्त हुआ है। इसके तहत जांजगीर- चाम्पा जिले के दो गोठान विकासखंड अकलतरा के तिलाई एवं विकासखंड नवागढ़ के खोखरा गोठान में गोमूत्र खरीदी का कार्य किया जा रहा है। तिलई गोठान में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोमूत्र से 200 लीटर जीवामृत और 721 लीटर ब्रह्मास्त्र बनाकर 646 लीटर उत्पाद बेचकर कुल 30 हजार 300 रुपए का लाभ प्राप्त कर चुकी है। इसी प्रकार खोखरा गोठान में सागर स्व सहायता समूह की महिलाएं गोमूत्र से अब तक 724 लीटर ब्रह्मास्त्र और 400 लीटर जीवामृत के उत्पाद बेचकर 52 हजार 200 रुपए का लाभ प्राप्त कर चुकी हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि गोठान के माध्यम से अब तक केवल गोबर खरीदी कर और उससे बने उत्पाद बेचे जा रहे थे लेकिन अब गोमूत्र का उपयोग कर उत्पाद तैयार करने से आय के नए स्रोत का सृजन हुआ है।        *ब्रह्मास्त्र का उपयोग कीटनाशक और जीवामृत वृद्धिवर्धक के लिए है फायदेमंद* 
        उप संचालक कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रह्मास्त्र का निर्माण नीम, धतूरा, बेसरम, आंक, सीताफल और गोमूत्र के मिश्रण से पूरी विधि अनुसार किया जा रहा है तथा इसका प्रयोग खेतों में कीटनाशक के रूप में किया जा रहा है। जीवामृत के छिड़काव से पौधे में वृद्धि होगी। गोमूत्र से बने कीटनाशक बाजार में मिलने वाले पेस्टिसाइड का बेहतर और सस्ता प्राकृतिक विकल्प है और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक है। वर्तमान में जीवामृत 40 रुपए प्रति लीटर की दर से और ब्रह्मास्त्र 50 रुपए प्रति लीटर की दर से विक्रय किया जा रहा है।
*जांजगीर-चांपा जिला प्रदेश में गोमूत्र खरीदी में है प्रथम स्थान पर*
         जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए हरेली पर्व से गोठनों में गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। जिसके तहत जांजगीर-चांपा जिला अब तक 5 हजार 93 लीटर गोमूत्र खरीदी के साथ प्रथम स्थान पर है। इसी प्रकार 2 हजार 9 सौ 26 लीटर की गोमूत्र खरीदी के साथ कबीरधाम जिला दूसरे स्थान पर, 2 हजार 9 सौ 93 लीटर गोमूत्र खरीदी के साथ कोरिया जिला तृतीय स्थान पर है और 2 हजार 3 सौ 84 लीटर गोमूत्र खरीदी के साथ रायपुर जिला चौथे स्थान पर है।

 *जब तक जनआंदोलन नहीं बनायेंगे, ये कुपोषण, एनीमिया जायेगा नहीं: श्री तारन प्रकाश सिन्हा*
*कलेक्टर ने जिले से कुपोषण, एनीमिया हटाने के अभियान में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के दिए निर्देश*
*स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग को समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश*
      जांजगीर-चाम्पा, अक्टूबर 2022/ कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने आज स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्याें की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह जिला सिंचाई, धान उत्पादन, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य कई मामलों में अन्य जिलों से आगे हैं। इस जिले में कोई दूरस्थ और पहुंचविहीन इलाका भी नहीं है। गांव की संख्या के मुकाबले यहाँ आगंनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मितानीनों की संख्या भी बहुत ज्यादा है, ऐसे में यहां कुपोषण और महिलाओं में एनीमिया की शिकायत अधिक क्यों है ? कलेक्टर ने कहा कि शायद हम फील्ड पर जाकर लोगों को जागरूक नहीं कर पाये। उनके लिए चलाए जा रहे अभियान को पूरी मेहनत के साथ सफल नहीं बना पाए। अब ऐसा नहीं चलेगा। हम अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य को सही ढंग निर्वहन करेंगे, ऐसा संकल्प लें। बच्चें और महिलाओं में कुपोषण और एनीमिया होगी तो असामयिक बीमारी और मृत्यु की संभावना बनी रहेगी। इसलिए अब इसे एक जन आंदोलन के रूप में मानते हुए काम करना होगा। यह तभी संभव है, जब इस अभियान में अधिकारी-कर्मचारी से लेकर क्षेत्र के पंच, सरपंच, जनपद सदस्य,जिलापंचायत सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और पालकों को इसका हिस्सा बनायेंगे। कलेक्टर ने स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग को संयुक्त रूप से समन्वय बनाकर कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए।     कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि इस सिंचित और कृषि प्रधान जिले में गंभीर कुपोषित बच्चों और एनीमिक महिलाओं का होना बहुत ही चिंता का विषय है। उन्होंने ब्लॉक वार कुपोषण और एनीमिया सहित मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक के माध्यम से किए गए उपचार की समीक्षा की। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को पूरक पोषण आहार रेडी टू ईट के अलावा, तिल, फल्लीदाना, गुड, चना आदि खाद्य सामग्री भी दी जानी चाहिए। उन्होंने सप्ताह में दो दिवस दिए जाने वाले अण्डे और केले का वितरण भी ईमानदारीपूर्वक करने के निर्देश देते हुए कहा कि कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य कार्ड अनिवार्य रूप से बनाया जाना चाहिए, इसी आधार पर स्वास्थ्य जांच करने के साथ होने वाले सुधार की जानकारी दर्ज की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाएं घर में सबसे पहले खाना खाये, यह परम्परा विकसित करने की दिशा में पहल जरूरी है। कलेक्टर ने एनआरसी में दिए जाने वाले भोजन की निर्धारित राशि को 160 रूपए करने पर सहमति जताते हुए कहा कि जिले में स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं जितनी बेहतर होगी, जिले का विकास उतना ही तेजी से होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल लगातार मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के माध्यम से कुपोषण हटाने के लिए अभियान चलाने के साथ बच्चों और महिलाओं के नियमति स्वास्थ्य जांच के निर्देश देते आए हैं। जिले में इस अभियान को सफल बनाने की भी जिम्मेदारी हमारी है। कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों, पर्यवेक्षकों को निर्देशित किया कि आंगनबाड़ी का संचालन समय पर हो। कार्यकर्ता, सहायिका गृह भेंट नियमित करें और बच्चों के साथ अपने आसपास की महिलाओं के संबंध में पूरी जानकारी रखते हुए शासन की योजनाओं का लाभ दिलाए। कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पोषण पुनर्वास केंद्र को बेहतर बनाने, अधोसंरचना संबंधी आवश्यकता होने पर प्रस्ताव देने और बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच के निर्देश दिए। उन्होंने जिले में स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए पैसे की कोई कमी नहीं होने की बात कहते हुए कहा कि शासन की योजनाओं का लाभ गरीब वर्गों को मिलना चाहिए। उन्होंने डाक्टरों को समय पर अस्पताल पहुचने तथा मितानिनों के सहयोग से संस्थागत प्रसव को बढ़ाने, बीमारी के रोकथाम करने के संबंध में भी निर्देश दिए।

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