— गोठान में गौमूत्र की 4 रूपए लीटर में हो रही खरीदी, महिला स्व सहायता समूह कर रहा है तैयार
जांजगीर-चांपा,10 अक्टूबर 2022/ गौमूत्र से बने जीवामृत एवं ब्रम्हास्त्र कीटनाशक का उपयोग तिलई, खोखरा के किसानों के अलावा पचेड़ा, कटौद, पुटपुरा के किसानों के द्वारा फसल में किया जा रहा है, जिसके छिड़काव से फसल को फायदा पहुंच रहा है और किसान कीटरहित अच्छी फसल को देखकर गदगद हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि रसायनिक खाद के उपयोग से कुछ समय के लिए जरूर फायदा होता है, लेकिन लंबे समय के लिए जरूरी है कि जैविक खाद का उपयोग किया जाए इसमें गौमूत्र से बनाए गए जीवामृत और ब्रम्हास्त्र कीटनाशक काफी कारगर सिद्द हो रहा हैं। इसी के चलते पूरे प्रदेश में गौमूत्र खरीदी में जिला पूरे प्रदेश में अव्वल चल रहा है।
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से जुड़कर किसान, ग्रामीण, महिला स्व सहायता समूह लाभान्वित हो रहे हैं। जिले में कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ फरिहा आलम सिद्दीकी मार्गदर्शन में गोठानों की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है और स्व सहायता समूहों की महिलाओं के साथ ही किसानों से चर्चा की जा रही है। कलेक्टर श्री सिन्हा ने किसानों से अधिक से अधिक जैविक खाद का उपयोग एवं गौमूत्र से बने जीवामृत एवं ब्रम्हास्त्र कीटनाशक का उपयोग करने कहा है।
रसायनिक खाद से मुक्ति
तिलई ग्राम पंचायत में रहने वाले किसान श्री देवराज पिता छोटेलाल कुर्मी बताते हैं कि उनके पास खेती के लिए पर्याप्त जमीन है, इस जमीन में धान की फसल लगाए हुए हैं, जब उन्हें गौमूत्र से बने ब्रम्हास्त्र एवं जीवामृत कीटनाशक के बारे में पता चला तो उन्होंने गोठान से खरीदकर इसको अपने खेतों में छिड़काव किया, कुछ समय बाद ही परिणाम देखने मिलने लगे। वे बताते हैं कि गौमूत्र से बने ब्रम्हास़्त्र कीटनाशक का 15-15 दिवस के भीतर उन्होंने छिड़काव किया। इससे फसलों में होने वाले कीटों को फसलों में लगने से बचाया जा रहा है और रसायनिक खाद के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिल रही है।
फसल के लिये मिला अच्छा परिणाम
तिलई, पचेड़ा, खोखरा, पकरिया झूलन कटौद, पुटपुरा गांव के किसान श्री सीताराम कौशिक, श्री रमेश कुमार बरेठ, श्री गजेन्द्र कुर्रे, श्री श्यामलाल कौशिक, श्री अशोक कुमार श्रीवास, श्रीमती दुर्गाबाई, श्री डिगेश्वर यादव, श्री भैराम कौशिक, श्री खिलेन्द्र कौशिक एवं श्री अजय कौशिक बताते हैं कि उनके खेतिहर जमीन है, इसमें उन्होंने जीवामृत एवं ब्रम्हास्त्र कीटनाशक का छिड़काव किया है, जिससे कीट नियंत्रक हुए है। तो वहीं मिट्टी में सूक्ष्म जीवों पर भी नियंत्रण हुआ है। कृषि विभाग उपसंचालक श्री एम.आर. तिग्गा से मिली जानकारी के अनुसार ब्रम्हास्त्र कीट नियंत्रक उत्पाद है जिसका उपयोग सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण में किया जा सकता है। यह तना छेदक जैसे अधिक हानि पहुंचाने वाले कीटों के प्रति अधिक लाभकारी है। तो वहीं जीवामृत यह एक बायोस्टिमुलेट है जो मिट्टी में सूक्ष्म जीवों तथा पत्ते पर छिड़के जाने पर फाइलोस्फेरिक सूक्ष्म जीवों की गतिविधि को बढ़ाता है, यह माइक्रोबियल गतिविधि के लिए प्राइमर की तरह काम करता है और देशी कंेचुओं की आबादी को भी बढ़ाता है।
दो गोठानों में गौमूत्र से जीवामृत, ब्रम्हास्त्र का निर्माण
हरेली पर्व से 4 रूपए प्रति लीटर की दर से तिलई एवं खोखरा गोठान में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। तिलई में आरती स्व सहायता समूह एवं नवागढ़ के खोखरा गोठान में सागर स्व सहायता समूह के द्वारा जीवामृत एवं ब्रम्हास्त्र तैयार किया जा रहा है। तिलई गोठान में 2590 लीटर गौमूत्र क्रय करते हुए 821 कीट नियंत्रक एवं 200 वृद्धिवर्धक तैयार करते हुए विक्रय किया गया। खोखरा गोठान में 2503 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गई। इससे कीट नियंत्रक 974 लीटर एवं वृद्धिवर्धक 400 लीटर तैयार कर विक्रय किया गया। जीवामृत किसानों को 40 रूपए प्रति लीटर एवं ब्रम्हास्त्र 50 रूपए प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है।