छत्तीसगढ़

सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठानों में किसानों द्वारा पैरादान को किया जा रहा प्रोत्साहित

राजनांदगांव, अक्टूबर 2022। जिले में खरीफ धान फसल की कटाई में कंबाईन हार्वेस्टर का बहुतायत में उपयोग होता है। हार्वेस्टर से कटाई उपरांत फसल अवशेष पैरा खेत में फैल जाता है। खेत में फैले हुए पैरा को किसान आमतौर पर समेटते नहीं है और खेत में जला देते है। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है और पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध नहीं हो पाता है। खेत में फैले हुए फसल अवशेष पैरा को सुविधानुसार एकत्र किया जा सकता है। इसके अलावा कल्टीवेटर के पीछे तार जाली लगाकर या देशी यंत्र कोपर द्वारा भी खेत में फैले हुए पैरा को एकत्र किया जा सकता है। फलस्वरूप पर्याप्त मात्रा में पैरा की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। गौठान में एकत्र पैरा को गौठान स्तर पर आवश्यकतानुसार बंडल बनाकर सुरक्षित रखा जा सकता है।
गौठानों में सामान्यत: प्रतिदिन प्रति पशु औसतन दो किलोग्राम पैरा की आवश्यकता होती है व प्रतिदिन औसतन एक ट्राली पैरा की खपत के हिसाब से 150 दिन के लिए 150-200 ट्राली पैरा की खपत होती है। किसानों द्वारा गौठान ग्राम में पशुओं की आवक संख्या के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में सूखे चारे की व्यवस्था हो पाएगी और मृदा की उर्वरा शक्ति बनी रहे एवं पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।

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