बिलासपुर, अक्टूबर 2022/धान फसल में पेनिकल माइट के प्रकोप की सूचना समीपवर्ती जांजगीर-चांपा जिले में मिल रही है। बिलासपुर जिले में अभी इस कीट के प्रकोप की जानकारी नहीं मिली है। उप संचालक कृषि ने किसानों से अपील की है कि वे अपने खेत में भ्रमण के दौरान कीट-व्याधि प्रकोप का अवलोकन करते रहे एवं कीट-व्याधि प्रकोप की स्थिति में अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी व विकासखण्ड स्तरीय कार्यालय से संपर्क कर तकनीकी सलाह लेकर रोकथाम का उपाय करें।
उप संचालक कृषि ने बताया कि पेनिकल माईट एक घातक कीट है। पेनिकल माइट गभोट (बंटिंग स्टेज) में धान के दानों को पंचर करती है और रस चूसती है। पंचर वाले स्थान पर फफूंद का आकग्रमण होने से बालियां बदरंग हो जाती है, जिससे दूध भराव नहीं होता और चावल बनने की प्रकिया पूरी नहीं होती है। पेनिकल माइट के प्रकोप के कुछ लक्षण है जैसे कि लीफ शीथ का बदरंग भूरा हो जाना, पत्तियों में छोटे भूरे धब्बे बनना, पेनिकल माईट (मकडी) के अधिक प्रकोप की अवस्था में दाने अनियमित आकार ले लेते है। उचित प्रबंधन से पेनिकल माईट के प्रकोप को रोका जा सकता है जैसे कि उर्वरकों का उपयोग (विशेषकर नत्रजन उर्वरकों का) फसल कटाई के बाद फसल अवशेष को मिट्टी में दबा देना चाहिए, फसल चक्र अपनाना विशेषकर दलहनी-तिलहनी फसलों के अपनाने से माइट नियंत्रण में प्रभावी है। खेतों का प्रभावी निगरानी करें खासकर लीफ शीथ को खोलकर देखें। इसके साथ ही रासायनिक नियंत्रण जैसे-डाईफेनथ्यूरान 50 प्रतिशत, डब्लू.पी. का 120 ग्राम प्रति एकड़ तथा प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत, ई.सी. का 200 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से मिलाकर छिड़के या स्पाइरोमेंसिफिन 240 ई.सी. का 200 मि.ली. या प्रोफेनोफास 50 ई.सी. का 400 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।