राजनांदगांव, अक्टूबर 2022। जिला कार्यालय के सभागार में आज जिला राजनांदगांव के कलेक्टर श्री डोमन सिंह , मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी के कलेक्टर श्री एस जयवर्धन एवं खैरागढ़ जिले से उपस्थित अधिकारियों की मौजूदगी में वन अधिकार अधिनियम अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को जमीन का पट्टा आबंटन के सम्बन्ध में राजस्व अधिकारियों की बैठक ली। कलेक्टर राजनांदगांव श्री डोमन सिंह ने ने कहा कि शासन की मंशा वनों पर वर्षों से काबिज लोगों को उनके हितों को ध्यान में रखते हुए अधिनियम लागू किया गया है। हर हाल में सभी पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि सभी प्राप्त आवेदनों का परीक्षण कर हितग्राहियों को लाभान्वित करें। किसी भी दशा में कोई हितग्राही लाभान्वित होने से वंचित न हो, इसका विशेष ध्यान रखें। कलेक्टर ने कहा अगर कोई आवेदन अस्वीकृत हुआ है, किया गया है उसका वे स्वयं परिक्षण करेंगे। इस अवसर पर कलेक्टर मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी श्री एस जयवर्धन ने बताया कि पात्र हितग्राहियों को उनके हित से वंचित नहीं किया जा सकता। ऐसा किया जाने पर कानूनी अधिनियम लागू होगा और जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई होगी। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम की जानकारी देते हुए बताया की सार्वजनिक दस्तावेज, शासकीय अभिलेख जैसे गजेटियर, जनगणना सर्वेक्षण और बंदोबस्त अभिलेख, मानचित्र, उपग्रह चित्र, कार्य योजना, प्रबंध योजना, लघु योजना, वन जांच प्रतिवेदन, अन्य वन अभिलेख, अधिकारों के अभिलेख, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, पट्टा या लीज, सरकार द्वारा गठित समितियों और आयोग के प्रतिवेदन, सरकार के आदेश, अधिसूचनाएं, परिपत्र, संकल्प आदि लागू होगा। इसी प्रकार शासन द्वारा अधिकृत दस्तावेज यथा मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, पासपोर्ट, गृह कर पावती, चालान, वन अपराध की प्राथमिकी, निवास प्रमाण पत्र मान्य होगा। भौतिक पहचान का साक्ष्य जैसे घर, झोपडिय़ां और भूमि में किए गए स्थाई सुधार जिनमे समतलीकरण, बांध चेकडेम और इसी तरह की कोई भी किए गए कार्य सम्मिलित है किया गया है। अद्र्ध न्यायिक एवं न्यायिक अभिलेख जिसमें न्यायालीन आदेश एवं निर्णय शामिल हो, ख्याति प्राप्त संस्थानों जैसे भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण संस्थान द्वारा किए गए अनुसंधान अध्ययन तथा ऐसे दस्तावेज, रूढिय़ों और परंपराओं में वन अधिकारों का उपभोग का उल्लेख करते हो एवं इन्हें रूड़ही जन्य कानून की शक्ति प्राप्त हो लागू होगा। पूर्ववर्ती रियासतों या प्रांतों अथवा मध्यवर्ती शासनों द्वारा तैयार किए गए मानचित्र, अधिकारों का अभिलेख ,विशेष रियायत, सुविधाएं आदि का कोई भी अभिलेख शामिल किया गया है। पारंपरिक संरचनाएं जो पुरातनता को स्थापित करती है, जैसे कुंए, कब्रिस्तान, मरघट या कोई पवित्र स्थान, पुराने भू-अभिलेखों में वर्णित पुरखों की वंशावली या पूर्ववर्ती काल के के वैध निवासी के रूप में दी गई किसी की तरह की मान्यता, बुजुर्गों का लिखित कथन, दावेदारों को छोड़कर मान्य होगा। इसी तरह अनुसूचित जनजातियों के दावा करता को दिनांक 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व काबिज हो तथा अधिनियम लागू होने के दिनांक तक काबिज होना, अन्य परंपरागत वन निवासी के रूप में दिनांक 31 दिसम्बर 2005 के पहले 3 पीढिय़ों 75 वर्ष से वन या वनभूमि में निवास करना, जीविका की वास्तविक आवश्यकताओं के लिए वन या वन पर निर्भरता, दिनांक 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व काबिज हो तथा अधिनियम लागू होने के दिनांक तक कब्जा रहना लागू होगा ऐसी प्रकार जिस वन भूमि पर दावा किया गया है ,उस वनभूमि की भौगोलिक विशेषताएं परंपरागत संरचनाएं आदि शामिल है, साथ ही नाबा -बलि अथवा शासकीय कर्मचारियों को काबिज होने पर पट्टा दिया जाना है । दूसरे ग्राम के व्यक्ति द्वारा किसी अन्य ग्राम में काबिज होने पर दावा किए जाने पर भी पट्टा दिया जाएगा। दावा करता के मृत्यु पश्चात दावाकर्ता के वारिस के नाम से पट्टा दिया जाना है। दावा करता को संपूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाना है, कम्युनिटी साक्ष्य मान्य होगा।
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