- छेरछेरा गौठान में पैरा हेरा-हेरा की अपील
- अब तक लगभग 40 हजार क्विंटल पैरादान
- खेत-खलिहानों में पैरादान करने के लिए किसान एवं महिलाओं में उत्साह एवं उल्लास
राजनांदगांव, दिसम्बर 2022। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा जिले के विधानसभाओं में आयोजित भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान किसानों से पराली ना जलाने तथा गौठान में पशुओं के चारा व्यवस्था के लिए पैरादान करने का आव्हान किया गया था। जिसके बाद कलेक्टर श्री डोमन सिंह के नेतृत्व में तथा जिला पंचायत सीईओ श्री अमित कुमार के मार्गदर्शन में कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों ने गांव-गांव में छेरछेरा पर्व की तरह ही पैरादान तिहार का आयोजन कर जिले के सभी ग्राम पंचायतों में पैरादान करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। कलेक्टर श्री सिंह ने किसान से खेतों में पड़े पराली को जलाने के बजाये गौठानों में पशुओं के चारे के लिए पैरादान करने की अपील की है।
छेरछेरा छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्यौहारों में से एक त्यौहार है। इसी परम्परा के अनुसार पैरादान तिहार को उल्लास से मनाने गांव में महिला समूह की टीम कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ गाजे-बाजे और गुलाल के साथ किसानों और ग्रामीणों के घर-घर जाकर छेरछेरा-छेरछेरा गौठान पर पैरा हेरा-हेरा अपील के साथ गौठान के लिए पैरादान की मांग की जा रही है। खेत-खलिहानों में पैरादान करने के लिए किसान एवं महिलाओं में उत्साह एवं उल्लास है। पूरे गांव में त्यौहार जैसा माहौल बन रहा है। जिले के सभी विकासखण्डों में इसी तरह पैरादान तिहार मनाकर ग्रामीणों को पराली ना जलाकर पैरादान करने जागरूक किया जा रहा है। पराली जलाने से पूरे गांव के वातावरण प्रदूषित होने के साथ ही भूमि की उर्वरता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
उप संचालक कृषि श्री जीएस धुर्वे ने बताया कि अभियान अंतर्गत अब तक राजनांदगांव विकासखण्ड के सभी 112 ग्राम पंचायतों में औसतन 5-6 ट्रॉली पैरा के साथ 8300 क्ंिवटल पैरादान गौठानों के लिए प्राप्त हुआ है। सहायक संचालक कृषि श्री टीकम ठाकुर ने बताया कि जिले में अब तक लगभग 40 हजार क्विंटल पैरादान किया जा चुका हैं। उल्लेखनीय है कि तिहार में एक ओर जहां विभागीय अमले जोर शोर प्रयास कर रहे हंै, वही दूसरी ओर गांवों में भी पैरादान के लिए अलग तरह का उत्साह दिख रहा है। गांव-गांव में महिला समूह घर-घर जाकर पैरादान की अपील कर रही हैं। गौठानों में पैरादान के लिए किसानों द्वारा स्वयं के ट्रेक्टर, बैलगाड़ी, गठ्ठे अन्य माध्यम से पैरादान कर रहे हंै।
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