छत्तीसगढ़

इंटीग्रेटेड फार्मिंग से किसान पुरुषोत्तम दिव्य के जीवन में आ रही खुशहाली, बदल रही जिन्दगी

जिले में शासन की योजनाओं का जमीनी स्तर पर हो रहा बेहतर क्रियान्वयन, किसानों के आय में हो रही वृद्धि     जांजगीर-चांपा 23 दिसम्बर 2022/ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कई गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सके। जिले में योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा द्वारा कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, पशुधन विकास विभाग, मत्स्य विभाग सहित संबंधित विभागों को जमीनी स्तर पर बेहतर कार्य करने के लगातार निर्देश दिए जा रहें है। इसी क्रम में इंटीग्रेटेड फार्मिंग करके पामगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत कुटराबोड़ के किसान श्री पुरूषोत्तम दिव्य के जीवन में बदलाव आ रहा है और उनके आय में वृद्धि हो रही है। एकीकृत कृषि प्रणाली एक ऐसी तकनीक है, जिससे किसान आसानी से अपने खेत में कई तरह की फसले उगाने के साथ ही साथ मछली पालन, कुक्कुट पालन, पशुपालन का व्यवसाय कर कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। इससे किसानो को अधिक मुनाफा और आमदनी बढ़ाने के अतिरिक्त विकल्प प्राप्त होते हैं, क्योकि इसके एक घटक दुसरे घटक के उपयोग में लाया जाता है। समेकित या इंटिग्रेटेड खेती की खास बात यह है कि इससे किसानो को साल भर आमदनी होती रहती है।
     किसान पुरूषोत्तम दिव्य ने अपनी जुबानी बताया कि विभिन्न विभागीय योजनाओं के माध्यम से उनके द्वारा पशुपालन, मछली पालन, उद्यानिकी, गोबर विक्रय आदि कार्याें से अच्छी आमदनी प्राप्त की जा रही है। उन्होंने बताया कि पशुधन विकास विभाग द्वारा पशुपालन की जानकारी प्राप्त होने पर डेयरी का कार्य प्रारंभ किया गया। जिसमें विभाग द्वारा उन्हे 6 लाख रूपये का अनुदान प्राप्त हुआ उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके द्वारा डेयरी में गाय और भैंस का पालन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से दुग्ध विक्रय कर उन्हें लगभग 60 हजार रूपये की आमदनी प्रतिमाह प्राप्त हो रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनकी तीन गाय गाभिन भी है, जिनसे बछड़े होने पर दूध की मात्रा बढे़गी और आमदनी में इजाफा होगा। इसके साथ ही उनके द्वारा मछली पालन का कार्य भी किया जा रहा है, जिसके तहत उनके द्वारा मात्र 50 हजार रूपये खर्च कर रोहू, कतला व मिरकल मछली का बीज डाला गया है। जिससे बाजार में मछली विक्रय करने से उन्हें सालाना लगभग 3 लाख रूपये की आमदनी प्राप्त हो रही है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा उन्हें गेंहू और मक्का बीज भी उपलब्ध कराया गया है, जिसके माध्यम से उन्हे अतिरिक्त आमदनी हो रही है। इसी प्रकार उनके परिवार के ही सदस्य द्वारा भी अपनी थोड़ी सी पूंजी लगाकर व बैंक से प्राप्त लोन के माध्यम से कुक्कुट पालन का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य के लिए उन्हें शासन की योजना अनुसार पशुधन विकास विभाग द्वारा 66 प्रतिशत का अनुदान जिसमें 33 प्रतिशत राज्य शासन एवं 33 प्रतिशत नाबार्ड से अनुदान प्राप्त हुआ है। मुर्गी पालन का कार्य उनके लिए एक बेहतर आय का जरिया साबित हुआ है। जिसके माध्यम से उन्हें सालाना 3.5 लाख रूपये से 4.00 लाख रूपये का मुनाफा प्राप्त हो रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। इसके साथ ही किसान पुरूषोत्तम ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के तहत उनके द्वारा गोबर भी बेचा जा रहा है और अब तक वे एक लाख रूपये का गोबर भी विक्रय कर चुके हैं। किसान ने कहा कि शासन की इन महत्वपूर्ण योजनाओं से उनके जीवन में खुशहाली और सकारात्मक बदलाव आया है। योजनाओ का जमीनी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन के लिए उन्हें पशुचिकित्सा विभाग के डॉ जैनेन्द्र सूर्यवंशी, मछली पालन विभाग से सुश्री बीना बारले, उद्यान विभाग से संदीप जायसवाल और कृषि विभाग से श्री एफ आर साहू का निरंतर सहयोग प्राप्त होता है। उन्होंने इस सहयोग के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन सहित संबंधित विभागों को धन्यवाद दिया है। इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग की तकनीकी जानकारी विकासखंड पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. जैनेन्द्र सूर्यवंशी द्वारा दी गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *