छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से उत्साहित है, मत्स्य पालक

सरगुजा में महिला समूह ने मछली पालन कर 10 महीने में ही कमाए 13 लाख रुपए

रायपुर, 18 जनवरी 2023/छत्तीसगढ़ में मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से मछली पालन के लिए सुविधाओं में जहां वृद्धि हुई हैं, वहीं इस व्यवसाय से राज्य में कई महिला स्व-सहायता समूह जुड़ रही हैं। सरगुजा जिले की ऐसी ही एक महिला समूह है जिन्होंने कुंवरपुर डैम में केज कल्चर विधि से मछली पालन कर केवल 10 महीनों में 13 लाख रूपए की आमदनी अर्जित की है।

सरगुजा जिले के ग्राम पंचायत कुंवरपुर में एकता स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती मानकुंवर पैकरा ने बताया कि केज कल्चर विधि से मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन मिला और समूह में तिलापिया और पंगास मछली का पालन शुरू किया। उनके समूह ने लगभग 10 माह पहले मछली पालन करना शुरू किया था। अब तक लगभग 13 लाख रुपये का मछली बेचा है। इसके साथ ही लगभग 4 लाख के मछली बिक्री के लिए तैयार हो गए हैं। मछली पालन से सभी महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।

श्रीमती पैकरा बताया कि मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत उन्हें 18 लाख का अनुदान दिया गया था। इसके पश्चात उनके सराहनीय कार्य को देखते हुए कलेक्टर श्री कुंदन कुमार ने डीएमएफ से 12 लाख का अनुदान प्रदान किया। समूह के द्वारा प्राप्त अनुदान से कुंवरपुर जलाशय में केज कल्चर मछली पालन का कार्य किया गया। उन्होंने बताया कि मछली पालन के साथ ही समूह की महिलाएं गोठान में विभिन्न प्रकार के रोजगारमूलक कार्य भी करती हैं। श्रीमती मानकुंवर का कहना है कि उन्हें शासन के बिहान योजना के द्वारा रोजगार का जरिया मिल गया। इस सहायता के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मत्स्य बीज उत्पादन में पॉचवे और मत्स्य उत्पादन में देश के छठवें स्थान पर हैं। प्रदेश में पिछले चार सालों में मत्स्य बीज उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अब इसका उत्पादन 302 करोड़ स्टेण्डर्ड फ्राई हो गया है। साथ ही मछली पालन करने वाले किसानों को 40 से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। राज्य में नील क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के माध्यम से 9 चायनीज हेचरी और 364.92 हेक्टेयर संवर्धन क्षेत्र नया निर्मित हुआ है। इससे राज्य में मत्स्य उत्पादन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह अब बढ़कर 5.91 लाख टन हो गया है।
राज्य में पिछले चार वर्षों में 2400 से ज्यादा तालाब बनाए जा चुके हैं। इसी के साथ जलाशयों और बंद पड़ी खदानों में अतिरिक्त और सघन मछली उत्पादन के लिए 6 बाय 4 बाय 4 मीटर के केज स्थापित करवाए गए है। चार वर्षों में 3637 केज स्थापित हुए है। इस केज से प्रत्येक हितग्राही को 80 हजार से 1.20 लाख रूपए तक आय होती है। प्रदेश में चार सालों में 6 फीड भी निजी क्षेत्रों में स्थापित हो चुके है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *