छत्तीसगढ़

कामधेनु विश्वविद्यालय में कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरण

दुर्ग, फरवरी 2023/दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र अंजोरा के सभागार में 3 फरवरी 2023 को भारत सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अंतर्गत मैत्री/प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। प्रमाण पत्र वितरण का कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.(कर्नल) एन.पी.दक्षिणकर के मुख्य आतिथ्य, निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य की अध्यक्षता, मैत्री/प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी तथा प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. एम.के. अवस्थी, कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ. व्ही.एन.खुणे, विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी एवं प्रशिक्षणार्थियों की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर 28 प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। नोडल अधिकारी डॉ.एम.के.अवस्थी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में बताया कि भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के अंतर्गत मैत्री/प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण के लिये चार केंद्रों जिसमें पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा, वेटनरी पॉलिटेक्निक जगदलपुर, सूरजपुर एवं महासमुंद को मान्यता प्रदान की है। बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन ग्रामीण भारत का संक्षिप्त नाम मैत्री है। निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य ने इस अवसर पर बताया कि 3 माह की अवधी का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जिसमें प्रशिक्षणार्थियों को एक माह वेटनरी कॉलेज अंजोरा एवं 2 माह की अवधि अन्य प्रक्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया। भारत सरकार का लक्ष्य है कि पूरे भारतवर्ष में चालीस हजार मैत्री कृत्रिम गर्भाधान केंद्र खोले जाएंगे ताकि अच्छी नस्ल के दुधारू पशु प्राप्त किए जा सके। छत्तीसगढ़ राज्य में कृत्रिम गर्भाधान की संख्या बढ़ाने के लिए मैत्री कार्यकर्ता की अहम भूमिका होगी, निश्चित रूप से आगामी वर्षों में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से राज्य में दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा। कुलपति डॉ. (कर्नल) एन.पी.दक्षिणकर ने सभागार में उपस्थित सभी प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए इस अवसर पर कहा कि भारत सरकार ने दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए मान्यता प्रदान किया है। हमारे प्रदेश में पशुओं की संख्या बहुत है लेकिन दूध उत्पादन कम है। हमारे देश में डेयरी का विकास दर 6 प्रतिशत ह,ै तथा पोल्ट्री का 10 प्रतिशत है देश में करीब-करीब 56 प्रतिशत दूध का उत्पादन भैसों से प्राप्त होता है। भैंसों एवं गायों की अच्छी नस्ल के उन्नयन के लिए कृत्रिम गर्भाधान आवश्यक है। हमारा देश युवाओं का देश है युवा प्रशिक्षणार्थी प्रक्षेत्र में जाकर कृत्रिम गर्भाधान के क्षेत्र में अच्छा कार्य करें। प्रशिक्षणार्थियों को शुभकामनाएं एवं उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय समय-समय पर तकनीकी एवं प्रायोगिक ज्ञान देने हेतु तत्पर रहेगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ.(श्रीमती) रूपल पाठक एवं डॉ.अमित गुप्ता द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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