— जिपं सीईओ ने महात्मा गांधी नरेगा के तहत गोठान, गोधन न्याय योजना, अमृत सरोवर, एबीपीएस, सहित चल रहे कार्यो की समीक्षा बैठक ली, कार्यक्रम अधिकारियों, तकनीकी सहायकों को दिए निर्देश
जांजगीर-चांपा। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल ने गुरूवार को जिला पंचायत सभाकक्ष में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से जिले में चल रहे गोठान निर्माण कार्य, चारागाह, अमृत सरोवर निर्माण कार्यों के साथ ही जॉबकार्डधारी श्रमिकों का एबीपीएस के माध्यम से मजदूरी भुगतान को लेकर समीक्षा की। समीक्षा के दौरान उन्होंनेे मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी एवं तकनीकी सहायकों को गोठान के चल रहे एक-एक निर्माण कार्यों की नियमित रूप से मॉनीटरिंग करने और प्रतिदिन किये गये निरीक्षण की रिपोर्ट भेजने निर्देशित किया।
जिपं सीईओ ने कहा कि राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के तहत बनाए जा रहे गोठान स्वीकृत के बाद उसे निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करते हुए उसे गोधन न्याय योजना से जोड़ा जाना है, ताकि गोबर की नियमित रूप से खरीदी हो सके। उन्होंने कहा कि गोबर खरीदी के बाद उसे स्व सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट टैंक में डलवाकर वर्मी खाद तैयार कराया जाना है। इसलिए जरूरी है कि गोठान के जो भी निर्माण कार्य चल रहे हैं, उन्हें निर्धारित समय सीमा में पूर्ण किया जाए। इसके अलावा चारागाह के कार्यों को प्राथमिकता के साथ पूर्ण करने कहा। उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत चल रहे कार्यों की सिलसिलेवार जानकारी ली। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत तालाब गहरीकरण, नया तालाब सहित नहर सफाई, मिट्टी सड़क एवं अन्य मिट्टी मूलक के कार्य चल रहे हैं, इसलिए मिट्टी के कार्यों में पूरी तत्परता के साथ कार्य कराया जाए। उन्होंने कहा कि आधार बेस्ड पैमेंट सिस्टम के माध्यम से श्रमिकों की राशि का भुगतान किया जाना है। इसलिए प्रत्येक कार्यक्रम अधिकारी, तकनीकी सहायक बैंक में जाकर श्रमिकों की जानकारी आधार से लिंक कराएं।
अमृत सरोवर पर करें फोकस
जिपं सीईओ ने कहा कि कार्यक्रम अधिकारी, तकनीकी सहायक जहां-जहां पर अमृत सरोवर के कार्य स्वीकृत किये गये हैं, उन पर फोकस करते हुए समय सीमा के भीतर ही पूर्ण कराएं। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा नियमित रूप से अमृत सरेावर की रिपोर्टिंग ली ला रही है। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवर इस तरह से तैयार किये जाएं कि वे गांव के लिए ही नहीं बल्कि पूरे जिले के लिए मिसाल बनें। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवर के गहरीकरण, नया निर्माण के दौरान मिट्टी की डेªसिंग को व्यवस्थित तरीके से तैयार किया जाए। गोदी खोदने के पहले चूना से मार्किंग की जाए और प्रत्येक गोदी की खुदाई होने के बाद उसे माप पंजी में दर्ज किया जाए। इसके अलावा कार्यस्थल पर फ्लेग स्टेज, तालाब के चारों ओर वृक्षारोपण एवं नागरिक सूचना पटल भी लगाया जाए। कार्यस्थल पर मजदूरों की नियमित रूप से उपस्थिति दर्ज की जाए। जो भी अमृत सरोवर के कार्य चल रहे हैं, उनकी नियमित रूप से जानकारी जिला पंचायत को भेजी जाए। सरोवर के निर्माण से गांव में जल संरक्षण एवं संचय की दिशा में बेहतर कार्य होगा और इससे स्व सहायता समूह, मछुवारा समिति सहित अन्य ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त हो सकेगा।