सुकमा, 16 मार्च 2023/ राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए, इसे सम्मान की स्थिति मिलनी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव और आदर तथा वफादारी होती है। राष्ट्रीय झंडे के संप्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों, प्रथाओं तथा परंपराओं के संबंध में जनता के साथ-साथ सरकार के संगठनों, एजेंसियों में भी जागरूकता होनी चाहिए। इसलिए भारतीय झण्डा सहिता, 2002 (2021 एवं 2022 में यथासंशोधित) तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 में अंतर्विष्ट उपबंधों का कड़ाई से पालन किये जाने का निर्देश दिया गया है।
भारतीय झंडा संहिता के अनुसार, जनता द्वारा कागज़ के बने राष्ट्रीय झंडो को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है। महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर जनता द्वारा प्रयोग किये हुए कागज़ के बने राष्ट्रीय झंडों को समारोह के पूरा होने के पश्चात न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में किया जाना चाहिए।