छत्तीसगढ़

विश्व क्षय दिवस मनाया गया 24 मार्च को

क्षयरोग जागरूकता साइकिल रैली का आयोजन, जिले भर में विविध कार्यक्रम आयोजित

कवर्धा, 27 मार्च 2023। विश्व क्षय रोग दिवस या विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है, विश्व टीबी दिवस मनाने का मुख्य उदेश्य है लोगों को टीबी के बारे मे बताने के साथ ही यह जानकारी भी दी जाय कि टीबी का उनके स्वास्थ्य एवं समाज में क्या असर पड़ रहा है। इस वर्ष का थीम है ‘‘हॉ, मैं टीबी रोग को समाप्त कर सकता हूं’’। समय पर लक्षणों की सही पहचान, टीबी पर जीत बनाये और भी आसान, जैसे नारे लगाते हुए जिले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बोड़ला, पंडरिया, सहसपुर लोहारा, और पिपरिया सहित अन्य स्थानों पर टीबी दिवस के अवसर लोगों को टीबी रोग से सचेत करने साईकिल रैली, संगोष्ठी और शपथ ग्रहण का कार्यक्रम रखा गया।
कलेक्टर जनमेजय महोबे के मार्गदर्शन एवं सीएमएचओ डॉ सुजॉय मुखर्जी एवं डीपीएम सृष्टि शर्मा के नेतृत्व में जिले में विविध जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। सीएमएचओ डॉ.सुजॉय मुखर्जी ने बताया कि 24 मार्च 1882 को जर्मन फिजिशियन और माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉबर्ट कॉच ने टीबी के जीवाणु माइकोबैक्टीरियम टयूबरक्लोसिस की खोज की थी, उनकी यह खोज आगे चलर टीबी के निदान और इलाज में बहुत मददगार साबित हुई। यही वजह है कि हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन टीबी के सामाजिक, आर्थिक और सेहत के लिए हानिकारक नतीजो पर दुनियां में पब्लिक अवेयरनेस फैलाने और दुनियां से टीबी के खात्मे की कोशिशों में तेजी लाने के लिए यह दिवस मनाया जाता रहा है। उन्होने कहा कि 2025 तक देश में टीबी को मिटाने का शपथ लिया गया।
डॉ. बी.एल.राज जिला स्वास्थ्य अधिकारी एवं क्षय रोग नोडल अधिकारी ने बताया कि टीबी एक गंभीर संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ो को प्रभावित करता है, ट्यूबरकुलोसिस के कारण बनने वाले जीवाणु खांसी और छींक के माध्यम से हवा में छोड़ी गई छोटी बूंदो के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसके प्रमुख लक्षणों में दो हप्ते से अधिक खॉसी, बुखार एवं रात में पसीना आना, भूख न लगना एवं वजन का कम होते जाना, कमजोरी लगना आदि है। टीबी के जीवाणु खांसने एवं छीकने से फलती है, इसलिए खांसते समय मुंह ढक कर रखें। यदि इसमें से कोई भी लक्षण हो तो नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में निःशुल्क बलगम जॉच अवश्य करायें। टीबी का ईलाज डॉटस पद्धति से निःशुल्क किया जाता है,टीबी का इलाज बीच में अधूरा न छोडे़, इलाज अधूरा छोड़ने से ड्रग रेसिस्टेंट टीबी हो सकती है, जिसका इलाज लम्बे समय (18 से 20 माह) तक चलता है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक सृष्टि शर्मा ने बताया कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी अवेयरनेस के लिए प्रतियोगिता का आयोजन, शालेय विद्यार्थियो के द्वारा टीबी जागरुकता रैली तथा प्रत्येक ब्लाक मे ऐसी गांव जहा तीन साल से एक भी टीबी के मरीज नही मिले है, उन्हें प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया है। जिले में टीबी खोज अभियान में अच्छे कार्य करने वाले को सर्टिफिकेट दिया गया। लोगों में जागरूकता लाने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पिपरिया में खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ विनोद चंद्रवंशी, पंडरिया में डॉ स्वप्निल तिवारी, लोहारा में डॉ संजय खरसन एवं बोडला में डॉ विवके चंद्रवंशी तथा बीपीएम सौरभ तिवारी, प्रदीप ठाकुर, संगीता भगत, रूपेश साहू, तथा आनंद दास महंत प्रोग्राम एसोसियेट, निलेश टांडेकर, मोहन साहू, शशिकांत शर्मा, जेम्स जॉन, नितीन सोनी, भूपेन्द्र भास्कर दिनेश जायसवाल, कवीत पटेल के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों में साइकिल रैली, शपथ दिलाना, शालेय टीबी जागरूकता कार्यक्रम, मितानिनों के द्वारा जागरूकता कार्यक्रम, प्रश्नोत्तरी, स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर टीबी के प्रति जागरूकता अभियान चलाया गया।

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