छत्तीसगढ़

मनरेगा के डबरी से मछलीपालन एवं खेती कर श्री प्रेम सिंह के जीवन में आई खुशहाली

प्रेम सिंह ने मछली बेचकर 23 हजार से अधिक की आमदनी कमाई

डबरी निर्माण से शरू हुआ व्यवसाय, होने लगी आमदनी

मछली पालन और बाड़ी की सिचाई के लिए रोजगार गारंटी योजना से मिला स्थाई परिसंपत्ति

रोजगार के साथ आजीविका का नया साधन प्रेम सिंह के लिए बना लाभदायक

कवर्धा, मई 2023। हर हाथ को काम के साथ-साथ सम्मान पूर्वक आजीविका के नए साधन से ग्रामीणों को जोड़ना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना का प्रमुख लक्ष्य रहा है। ग्रामीणों के लिए ऐसे परिस्थितियों का निर्माण जो गांव के फायदे के साथ-साथ ग्रामीणों के फायदे के लिए हो ऐसे निर्माण कार्यों को शुरू से प्राथमिकता दी जाती रही है। मनरेगा योजना के तहत डबरी निर्माण का कार्य इसी का एक बेहतरीन उदाहरण है। डबरी बन जाने से जल संरक्षण के साथ भूजल स्तर में वृद्धि होती है और जल-संचय करते हुए डाबरी से आजीविका के नए साधन खुल जाते है। डबरी निर्माण से ऐसे ही फायदा लेने की कहानी है जिले के विकासखंड पंडरिया के ग्राम पंचायत खाम्ही निवासी प्रेमसिंह पिता बिसौहा की।
प्रेम सिंह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में शुरू से कार्य करते रहे हैं खेती किसानी और मजदूरी करना इनके आमदनी का मुख्य जरिया है। योजना के तहत जॉब कार्ड नंबर सीएच02004112001/219 है। वर्ष 2021 में डबरी निर्माण कार्य 1 लाख 42 हजार रुपए की लागत से स्वीकृत किया गया। यह कार्य 25 दिनों तक चला और इसमें 32 परिवारों को रोजगार करने का मौका मिला। निर्माण काम मे कुल 675 मानव दिवस का रोजगार ग्रामीणों को मिला जिसमें से 24 दिन प्रेम सिंह को भी डबरी निर्माण के कार्य में रोजगार प्राप्त हुआ। प्रेम सिंह को अपने डबरी बनाने और 24 दिनों के रोजगार के लिए 190 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से कुल 4 हजार 560 रुपए का मजदूरी भुगतान उनके बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते से प्राप्त हुआ और इस तरह ग्रामीणों ने मिलकर 20 मीटर बाय 20 मीटर का एक बड़ा डबरी प्रेम सिंह के लिए तैयार कर लिया।
श्री प्रेम सिंह ने बताया कि इस काम से मुझे बहुत फायदा हुआ है। एक और जहां मैं डबरी में मछली पालन का व्यवसाय कर रहा हूं तो दूसरी ओर मेरी बॉडी को सिचाई के लिए पानी मिल गया है। मछली पालन और उससे हो रहे लाभ पर मुस्कराते हुए प्रेम सिंह बताते है की रोहुआ, कतला, मृगल के 5 से 6 किलो का बीज डबरी बनने के बाद तुरंत लाकर डाला था। लगभग 6 महीने बाद यह आधा किलो से 1 किलो एवं उससे ज्यादा वजनी मछलियां तैयार हो गई। गांव से बाजार तो 8 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन मुझे इसे बेचने बाजार नही जाना पड़ता। मैं अपने गांव में ही बड़ी मछलियों को 150 रुपए एवं छोटी मछलियों को 100 रुपए के मान से बेच रहा हूं। अब तक लगभग 23 से 25 हजार की आमदनी हो चुकी है। गांव में ही मछलियां बिक रही है किसी के परिवार में मांगलिक कार्यों के समय, छट्टी हो या फिर कोई अन्य कार्यक्रम गांव के लोग मुझ से खरीद कर ले जाते हैं और गांव वालों को भी बाजार से कम दर पर मछलियां मेरे पास मिल जाता है। मेरा मछली पालन का व्यवसाय अच्छा चल रहा है और मुझे बढ़िया आमदनी हो रही है। इसके साथ ही मेरे 1 एकड़ के बाड़ी में साग सब्जी भी लगाया हूं जिसका डबरी से सिंचाई हो जाती है। अभी घर खाने के लिए बरबट्टी, टमाटर, लौकी, कद्दू, भिंडी एवं धनिया जैसे सब्जियां लगी है। हमारा 11 लोगों का परिवार है इतनी सब्जियां हो जाती है कि हम लोगों को बाहर से सब्जी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है और इस कारण साग सब्जी खरीदने का पैसा भी बच जाता है जो एक प्रकार से सीधे बचत है। उन्होंने बताया कि मैं प्रयास कर रहा हूं कि एक और डबरी निर्माण करा लिया जाय जो मेरे व्यवसाय को गति देगा साथ ही मछलियों के बीज बढ़ाने की भी योजना है। प्रेम सिंह को डबरी निर्माण से हो रहे लाभ को देखकर लगता है कि रोजगार गारंटी योजना से रोजगार के साथ आजीविका के नए द्वार खुले हैं। घर से ही मछली पालन का व्यवसाय और सब्जी उत्पादन से आत्मनिर्भर होने की दिशा में या मील का पत्थर है।

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