छत्तीसगढ़

ग्राम मोखला के गौठान में समूह की महिलाएं कर रही बहुआयामी कार्य

  • महिलाओं के चेहरे की मुस्कान कहती है कि उन्होंने अब अपनी झिझक और संकोच को किया दूर
  • वर्मी कम्पोस्ट निर्माण से समूह की महिलाओं को मिली 4 लाख 30 हजार रूपए की लाभांश राशि
  • सामुदायिक बाड़ी से विगत वर्षों में लगभग 1 लाख 50 हजार रूपए की सब्जी की बिक्री
  • कुक्कुट पालन से हुई लगभग 2 लाख रूपए की आमदनी
  • मछली पालन से हुआ 30 हजार रूपए का फायदा
  • मशरूम उत्पादन, केला, हल्दी, नेपियर घास की ले रही फसल
    राजनांदगांव 25 मई 2023। ग्रामीण क्षेत्रों में शासन की सुराजी गांव योजना से आमूलचूल परिवर्तन आये हैं। समूह की महिलाएं मिलकर गौठान में कार्य कर रही हैं। सामूहिक एकता और कड़ी मेहनत से उनका जीवन बदल रहा है। शासन की नरवा, घुरवा, गरवा, बाड़ी योजना के तहत राजनांदगांव जिले के ग्राम मोखला के गौठान में समूह की महिलाएं बहुआयामी कार्य कर रही हैं। उनके चेहरे की मुस्कान कहती है कि उन्होंने अब अपनी झिझक और संकोच को दूर किया है। विभिन्न कार्यों से जुड़कर उनकी आमदनी बढ़ी है। समूह की श्रीमती नीलम साहू ने बताया कि जय माँ दुर्गा स्वसहायता समूह की महिलाएं यहां वर्मी कम्पोस्ट निर्माण कर रही हंै। अब तक गौठान में 982 क्विंटल 74 किलो वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया गया है। वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री से 9 लाख 82 हजार की कुल लाभांश राशि सोसायटी, गौठान समिति एवं समूह की महिलाओं को मिली है। जिसमें से 4 लाख 30 हजार रूपए की लाभांश राशि समूह की महिलाओं को प्राप्त हुई है।
    गौठान में गोधन न्याय योजना के तहत 2458 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। सामुदायिक बाड़ी से विगत वर्षों में लगभग 1 लाख 50 हजार रूपए की सब्जी की बिक्री की गई है। लौकी, खट्टा भाजी, पपीता, बंैगन सहित विभिन्न सब्जियों की बिक्री की गई है। मशरूम उत्पादन से 2 हजार 200 रूपए का लाभ मिला। फिर से मशरूम उत्पादन की तैयारी की जा रही है। समूह की महिलाओं ने बताया कि बाड़ी में रागी भी लगाए थे, जिससे 40 किलो रागी का उत्पादन हुआ है। पशुओं के चारे के लिए नेपियर घास लगाया गया है। केला, हल्दी की फसल ली गई। जय माँ दुर्गा स्वसहायता समूह एवं जय माँ वैष्णवी स्वसहायता समूह की महिलाएं नीलम साहू, नम्रता साहू, लुकेश्वरी, त्रिवेणी, उमेश्वरी, राधा, नगीना, पूर्णिमा, डोमेश्वरी साहू वर्मी कम्पोस्ट निर्माण से जुड़ी हुई है। जय माँ कल्याणी स्वसहायता समूह द्वारा कुक्कुट पालन किया जा रहा है। जिससे लगभग 2 लाख रूपए की आमदनी हुई है। वहीं प्रतिज्ञा स्वसहायता समूह द्वारा मछली पालन किया जा रहा है। जिससे लगभग 30 हजार रूपए का फायदा हुआ है।

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