छत्तीसगढ़

गौठान से आजीविका संवर्धन की ओर बढ़ रही महिलाएं

गोबर से खाद तैयार कर कमा रही हैं मुनाफा       जांजगीर-चांपा 26 मई 2023/ राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा, बारी के तहत विकासखण्ड बलौदा के ग्राम पचंायतों में गौठानांे का निर्माण किया गया है। इन गौठानों में पशुओं के पीने के लिए पानी टंकी, कोटना, गोबर से खाद तैयार करने के लिए वर्मी कम्पोस्ट टैंक, नाडेप टैंक, चबूतरा, सीपीटी, डब्ल्यूएटी जैसी मूलभूत सुविधाओं का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही पशुओं के लिए शेड, महिलाओं के लिए आजीविका संवर्धन के लिए वर्किंग शेड, आजीविका गतिविधि के लिए पानी की व्यवस्था, सुरक्षा के लिए फैंसिंग आदि व्यवस्थाएं संचालित की जा रही है। गौठान में स्व सहायता समूह की महिलाएं कार्य करते हुए आजीविका संवर्धन की ओर बढ़ते हुए गोबर से खाद तैयार कर मुनाफा कमा रही है और आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं।
       जनपद पंचायत बलौदा की ग्राम पंचायत परसदा में निर्मित गौठान में पशु शेड, सेग्रीगेशन शेड, फैंसिंग, पानी आदि सुविधा उपलब्ध है। परसदा गौठान में गोधन न्याय योजनान्तर्गत खाद उत्पादन करते हुए स्व सहायता समूह की महिलाओं ने एक लाख चौतीस हजार दो सौ उन्तीस रूपये की आय अर्जित की है। तो वहीं ग्राम पंचायत कण्डरा में वन विभाग के द्वारा आवर्ती चराई स्वीकृत है, जिसके लिए 2.5 एकड़ क्षेत्र को ग्राम पंचायत को हस्तांरित कर निर्माण कार्य प्रारंभ कराया जा चुका है। शीघ्र ही ग्राम कण्डरा में निर्माण कार्य पूर्ण कर सभी सुविधाऐं उपलब्ध करायी जायेगी। ग्राम पंचायत पुरैना में गौठान में फैंसिंग, पानी, सेग्रीगेशन, रोड की सुविधां उपलब्ध है साथ ही बारिश में पशुओं की व्यवस्था को देखते हुए पशु शेड की स्वीकृति प्राप्त हुई है, जिसका निर्माण कार्य प्रारंभ कराया जा चुका है। पुरैना गौठान में 52.50 क्विंटल खाद उत्पादन व 45.30 क्विंटल खाद की बिक्री की जा चुकी है। ग्राम पंचायत पहरिया में वन विभाग के द्वारा आवर्ती चराई का निर्माण किया गया है, जिसमें निर्मित वर्मी टांके में गोबर खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन किया जा रहा है। आवर्ती चराई में से 2.50 एकड़ की भूमि ग्राम पंचायत को हस्तांरित किये जाने के लिए आवेदन किया गया जिससे भविष्य में विभिन्न आजीविका संबंधी गतिविधियों के लिए निर्माण कार्य कराये जाएगें, इसके अलावा चारपारा, बछौद, महुदा-ब, नवगवां, जावलपुर, महुदा-च गौठान आजीविका के केन्द्र के रूप में उभर रहे है, जिससे स्व सहायता समूह की महिलाएं स्वरोजगार की ओर अग्रसर है।

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