छत्तीसगढ़

मनरेगा से बनी निजी डबरी गणेशराम के जीने का सहारा

— डबरी बनने से आर्थिक रूप से मजबूत परिवार, डबरी के पास लगाई सब्जी बाड़ी
जांजगीर चांपा। खेती किसानी पूरी तरह से पानी पर ही निर्भर होती है और बिना पानी के फसल के बारे में किसान का सोचना भी मुश्किल है। यही हाल गणेशराम कंवर का भी था वह खेतों में जब भी पानी की कमी देखता तो चिंतित हो जाता था। इसी समस्या से जूझ रहे गणेशराम को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना वरदान के रूप में सामने आई, जब उसके खेत में निजी डबरी का निर्माण कराया गया। डबरी बनने से उसकी सारी चिंताएं और व्याकुलता दूर हो गई और वह खुशहाल नजर आने लगा। यह डबरी उसके परिवार के जीने का सहारा बन गई।
जिला मुख्यालय से 35 एवं जनपद पंचायत पामगढ़ से 15 किलोमीटर ग्राम पंचायत ससहा के ग्राम शुक्लाभाठा जहां रहते हैं किसान श्री गणेशराम कंवर। वह बताते हैं कि उनके पास 6 एकड़ जमीन है जिस पर खेती किसानी करते आ रहे हैं। इसी जमीन से अपने परिवार का पालन पोषण करते है और इसी के सहारे आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन मुश्किल तब बढ़ जाती है जब खेत में पानी की समस्या होती है, ऐसे में परिवार का गुजर-बसर करना कठिन हो जाता है तब बाहर मजदूरी करने जाना पड़ता है। कठिन परिस्थितियों से जूझते और हर दिन इसी उधेड़बुन में समय काट रहे गणेशराम को मनरेगा के रोजगार सहायक से पता चलता है कि महात्मा गांधी नरेगा से किसानों की निजी जमीन पर हितग्राही मूलक कार्य किए जाते हैं, जिसमें कुआं, डबरी सहित अन्य जल संरक्षण के कार्य शामिल हैं। ऐसे में उन्हें निजी डबरी निर्माण की बात उनको रास आ गई और परिवार में चर्चा के बाद उन्होंने निजी डबरी निर्माण को लेकर अपनी सहमति दे दी। तकनीकी सहायक सुश्री पूजा सूर्यवंशी, रोजगार सहायक श्री प्रेमचंद साहू ने प्रस्ताव तैयार कर उसे ग्रामसभा से पास कराकर जनपद पंचायत से जिला पंचायत भेजा। जिला पंचायत से निजी डबरी के लिए 1.361 लाख रुपए की मंजूरी दी गई। मंजूरी मिलने के बाद बड़े ही उत्साह से गणेशराम ने अपने खेत में निजी डबरी कार्य प्रारंभ कराया। जनवरी 2023 मैं कार्य प्रारंभ हुआ और 46 परिवारों ने कार्य करते हुए 599 मानव दिवस सृजित करते हुए इसे पूर्ण किया गया। इस डबरी के निर्माण में 36 दिवस कार्य उनके परिवार ने भी करते हुए रोजगार प्राप्त किया। डबरी निर्माण होने से गणेशराम की आंखों में खुशी की चमक दौड़ गई और उसके सपनों को नई उड़ान भरने के लिए पंख मिल गए। गणेशराम ने डबरी बनने के बाद अपने रिश्तेदार के बोर से अपनी डबरी में पानी भर लिया इस पानी का उपयोग में 1 एकड़ जमीन में लगाई गई सब्जी की फसल के लिए कर रहे हैं, जिसमें वह लौकी, बरबट्टी, भिंडी, टमाटर, कद्दू के साथ ही उड़द दाल एवं मूंग दाल लगाए हुए है। गणेशराम को सब्जी भाजी बेचकर आमदनी हो रही है साथ ही घर के उपयोग में ले रहे है। अब गणेशराम उनकी पत्नी मोहन बाई, पुत्र रामजस बहू जगमत बाई पुत्र रवि, आदित्य, अमन, अमित, एवं पुत्री राजेश्वरी बेहद ही आनंदित है और आने वाले मानसून का इंतजार कर रहे हैं, जब बारिश के पानी से उनकी डबरी लबालब भरेगी। वह उस पल का भी इंतजार कर रहे हैं जब दोहरी फसल आसानी से ले सकेंगे। वह डबरी में मछली पालन भी शुरू किए है जिससे अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है, उनका परिवार मछली को प्रतिदिन देख रेख कर रहा है। डबरी बनने के बाद दूसरे ग्रामीण भी हितग्राही मूलक कार्य और उससे होने वाले फायदे की सलाह ले रहे हैं।

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